एशिया में कोविड-19 के मामले तेज़ी से बढ़े, भारत में हालात ‘नियंत्रण में’
एशिया के कई देशों में कोविड-19 के मामलों में तेज़ उछाल दर्ज किया जा रहा है, मगर भारतीय स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि देश में स्थिति फिलहाल नियंत्रण में है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 19 मई 2025 तक भारत में सिर्फ 257 सक्रिय मामले थे। अधिकारियों ने बताया कि अधिकतर संक्रमण मामूली हैं और उनसे गंभीर बीमारी या मृत्यु नहीं हो रही है। फिर भी केंद्र सरकार ने निगरानी बढ़ा दी है और देश-भर में स्वास्थ्य चौकसी कड़ी की जा रही है।
तैयारियों की समीक्षा बैठक
सोमवार को नई दिल्ली में हुई समीक्षा बैठक की अध्यक्षता डीजी हेल्थ सर्विसेज ने की। इसमें NCDC, EMR डिविज़न, डिज़ास्टर मैनेजमेंट सेल, ICMR और केंद्रीय अस्पतालों के विशेषज्ञ शामिल रहे। निष्कर्ष यह रहा कि देश की विशाल आबादी की तुलना में सक्रिय केस बहुत कम हैं, और लगभग सभी संक्रमितों को अस्पताल में भर्ती होने की ज़रूरत नहीं पड़ी। अधिकारियों ने बताया कि कोविड-19 तथा अन्य श्वसन संक्रमणों पर नज़र रखने के लिए IDSP और ICMR के माध्यम से एक मज़बूत निगरानी-तंत्र पहले से काम कर रहा है।
पड़ोसी देशों में तेज़ बढ़ोतरी
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सिंगापुर: 27 अप्रैल-3 मई के बीच केस 11,100 से बढ़कर 14,200 हो गए; अस्पताल में रोज़ 102 से 133 भर्ती, जबकि आईसीयू मरीज तीन से घटकर दो रही।
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थाइलैंड: 11-17 मई के बीच 33,030 नए मामले; अकेले बैंकॉक में 6,000 से अधिक। छुट्टियों में बढ़ी आवाजाही (13-15 अप्रैल, सोंगक्रान) को बड़ा कारण माना जा रहा है।
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हांग कांग: सैंपल पॉज़िटिविटी चार हफ्तों में 6.21% से बढ़कर 13.66%। विशेषज्ञों के अनुसार शहर में अब हर 6-9 महीने में सक्रिय लहरें देखने को मिल रही हैं।
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चीन: 31 मार्च-4 मई के बीच फ़्लू-जैसे लक्षण वाले रोगियों में कोविड पॉज़िटिविटी 7.5% से 16.2% तक पहुँची; अस्पतालों में यह दर 3.3% से बढ़कर 6.3% हुई।
नए वेरिएंट की भूमिका
सिंगापुर में LF.7 और NB.1.8 (दोनों JN.1 वंश) कुल सीक्वेंस किये गए मामलों के दो-तिहाई से ज़्यादा हैं। JN.1 अगस्त 2023 में पहचाना गया था और WHO ने दिसंबर 2023 में इसे “वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट” घोषित किया। थाइलैंड में XEC वेरिएंट भी फैल रहा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि बूस्टर न लगवाने, यात्रा और बड़ी भीड़ ने भी संक्रमण को गति दी है।
भारत सतर्क, पर आश्वस्त
भारत में अभी JN.1 या इसके उप-वंशों का स्थानीय फैलाव पुष्टि-शुदा नहीं है, फिर भी स्वास्थ्य मंत्रालय चौकस है। निगरानी बढ़ाने, जाँच की उपलब्धता, और आवश्यक सार्वजनिक-स्वास्थ्य उपायों पर ज़ोर दिया जा रहा है। अधिकारियों के अनुसार मौजूदा स्थिति को देखते हुए घबराने की ज़रूरत नहीं, लेकिन सावधानी बरतना जारी रखना होगा — महामारी की पकड़ ढीली हुई है, खत्म नहीं।