मेरिका-ईरान तनाव के बीच ईरान का बड़ा फैसला, होरमुज जलडमरूमध्य बंद करने को संसद की मंजूरी
अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर हालिया हवाई हमले के बाद, वैश्विक स्तर पर अस्थिरता की स्थिति बन गई है। इस बीच ईरान की संसद ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण होरमुज जलडमरूमध्य (Strait of Hormuz) को बंद करने की अनुमति दे दी है। इस कदम को अमेरिका ने “आर्थिक आत्मघात” करार दिया है।
होरमुज जलडमरूमध्य दुनिया के ऊर्जा व्यापार का प्रमुख मार्ग है। लगभग 20–30% वैश्विक तेल और प्राकृतिक गैस इसी रास्ते से होकर गुजरती है। यदि यह मार्ग बंद हुआ, तो वैश्विक तेल आपूर्ति प्रभावित होगी और तेल की कीमतें $150–$200 तक जा सकती हैं, जिससे वैश्विक मुद्रास्फीति और आर्थिक मंदी का खतरा पैदा हो सकता है।
🔍 ईरान का दृष्टिकोण और कारण:
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अमेरिकी हमले को जवाब: ईरान ने चेतावनी दी थी कि अगर अमेरिका कोई सैन्य कदम उठाता है, तो इसे “रेड लाइन” पार करना माना जाएगा। अमेरिका के हमले के बाद यह जवाबी प्रतिक्रिया आई है।
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एनपीटी से बाहर निकलने की संभावना: ईरान संकेत दे रहा है कि वह परमाणु अप्रसार संधि (NPT) से बाहर निकल सकता है और अपने परमाणु कार्यक्रम को सैन्य रूप दे सकता है।
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सैन्य जवाब की तैयारी: ईरान के सशस्त्र बल (IRGC) और कट्टरपंथी धड़े अमेरिका और इज़राइल से सीधा टकराव चाहते हैं।
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स्वतंत्रता का दावा: ईरान का कहना है कि होरमुज जलडमरूमध्य को खोलना या बंद करना उसका संप्रभु अधिकार है।
🌍 वैश्विक प्रतिक्रिया और खतरे:
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अमेरिका ने चीन से आग्रह किया है कि वह ईरान पर दबाव डाले और इस ब्लॉकेड को रोके।
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अमेरिकी नौसेना की 5वीं फ्लीट पहले से ही खाड़ी क्षेत्र में मौजूद है, जिससे सैन्य टकराव की आशंका बढ़ गई है।
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अगर यह ब्लॉकेड होता है, तो यह अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानून (UNCLOS) का उल्लंघन माना जाएगा।
🇮🇳 भारत पर प्रभाव:
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भारत अपनी कुल कच्चे तेल आपूर्ति का एक बड़ा हिस्सा खाड़ी क्षेत्र से प्राप्त करता है।
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अगर तेल आपूर्ति बाधित होती है, तो भारत में ईंधन महंगाई और चालू खाते पर दबाव बढ़ सकता है।
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भारत ने अपने रणनीतिक भंडार को मजबूत किया है और वैकल्पिक आपूर्तिकर्ताओं जैसे रूस और अमेरिका से भी तेल खरीद बढ़ाई है।
🧭 निष्कर्ष:
ईरान द्वारा होरमुज जलडमरूमध्य को बंद करने की अनुमति एक गंभीर भू-राजनीतिक मोड़ है। यह न केवल मध्य-पूर्व, बल्कि पूरे वैश्विक ऊर्जा बाजार और विश्व शांति के लिए एक संभावित संकट का संकेत है। आने वाले दिनों में चीन की भूमिका और अमेरिका की प्रतिक्रिया इस मामले की दिशा तय करेगी