मिशन 2024: चतरा लोकसभा में NDA नए चेहरे पर खेल सकता है दांव, आईएनडीआईए की तरफ से RJD का दावा

Akshay/ Rahul

Ranchi: चतरा लोकसभा की बात की जाए तो कहा जा सकता है कि 2014 के पहले किसी पार्टी का गढ़ नहीं था. लेकिन 2014 और 2019 के परिणमों के बाद यह पुख्ता तौर पर कहा जा सकता है कि यह सीट अब बीजेपी के लिए सुरक्षित सीट है. यह सीट इतनी सुरक्षित है कि बीजेपी के ऐसे दिग्गज जो चतरा से ताल्लुक नहीं रखते हैं, फिर भी वहां से टिकट लेने के लिए लॉबिंग कर रहे हैं.

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2019 में यह सीट यूपीए गठबंधन की तरफ से कांग्रेस के खाते में गयी थी लेकिन आरजेडी ने गठबंधन धर्म का पालन नहीं किया और आरजेडी ने सुभाष यादव को वहां से टिकट दे दिया. इसका फायदा बीजेपी को मिला और बीजेपी ने काफी बड़े अंतर से जीत हासिल की. लेकिन इस बार की तस्वीर कुछ अलग रहने की उम्मीद है. क्योंकि आरजेडी इस बार पलामू लोकसभा के बजाय चतरा लोकसभा से चुनाव लड़ना चाहती है.

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चतरा लोकसभा सीट

चतरा लोकसभा सीट में पांच विधानसभाएं आती हैं. 1957 में अस्तित्व में आयी इस लोकसभा सीट पर 1957, 1962, 1967 में एक ही उम्मीदवार विजया राजे ने चुनाव जीता. बस हर बार उन्होंने पार्टी बदलकर चुनाव लड़ा. 1957 में वो छोटा नागपुर संथाल परगना जनता पार्टी, 1962 में स्वतंत्रता पार्टी और 1967 में उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार की तौर चुनाव लड़ा और जीता. विजया राजे के जीत का सिलसिला 1971 में खत्म हुआ और कांग्रेस से शंकर दयाल सिंह जीते. इसके बाद कई पार्टी के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की. लेकिन अब दो बार यहां बीजेपी का उम्मीदवार लगातार जीत रहा है. इन दोनों बार के अलावा दो बार और बीजेपी ने 90 के दशक में जीत दर्ज की.

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5 विधानसभाओं में से तीन पर आईएनडीआईए मजबूत 

इस लोकसभा सीट के अंतर्गत कुल पांच विधानसभाओं में से तीन पर आईएनडीआईए का कब्जा है. चतरा विधानसभा से आरजेडी के सत्यानंद भोक्ता विधायक हैं और सरकार में मंत्री भी हैं. जबकि उन्होंने इस सीट पर बीजेपी से ही 2000 और 2005 चुनाव जीता था. 2014 में बीजेपी के उम्मीदवार जय प्रकाश सिंह भोक्ता ने जीत हासिल की थी. सिमरिया विधानसभा से बीजेपी के किशुन दास, माणिका विधानसभा से कांग्रेस के रामचंद्र सिंह, लातेहार विधानसभा से जेएमएम के बैद्यनाथ राम और पांकी विधानसभा से बीजेपी के शशि भूषण मेहता विधायक हैं.

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हार-जीत का अंतर

2019 के लोकसभा चुनाव में कुल 9,25,956 वोट पड़े थे. कांग्रेस से उम्मीदवार मनोज यादव को 1,50,206 वोट मिले और एनडीए से चुनाव लड़ रहे बीजेपी उम्मीदवार सुनील सिंह को 5,28,077 वोट मिले थे. वोटों का अंतर 3,77,871 का था. 2014 में कुल 7,12,980 वोट पड़े थे. जिसमें बीजेपी के सुनील सिंह को 2,95,862 वोट, कांग्रेस के उम्मीदवार धीरज प्रसाद साहू को 1,17,862 वोट मिले थे. सुनील सिंह ने 1,78,026 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी. जबकि 2019 में युपीए से बागी होकर आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़े सुभाष यादव को महज़ 83,425 वोट मिले थे.

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इस बार के संभावित उम्मीदवार

चतरा लोकसभा की संभावित सीटों की बात करें तो इसमें फिलहाल बहुत पेंच है. इस सीट पर काफी बड़े अंतर से बीजेपी की तरफ से सुनील सिंह ने पिछले चुनाव में जीत हासिल की थी. इस लिहाज से सबसे पहले दावेदार वो खुद हैं. लेकिन बाबूलाल के साथ जेवीएम से बीजेपी में आए योगेंद्र प्रताप सिंह भी इस लोकसभा से चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं. वो संभावित उम्मीदवारों की लिस्ट में भी हैं. इसके अलावा लातेहार निवासी और वर्तमान में प्रदेश भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शहदेव भी भाजपा की ओर से बड़े दावेदार के रूप में उभर रहे हैं, पिछले कई महीनों से उनकी सक्रियता स्थानीय तौर पर बढ़ी है. वहीं आरजेडी के एक वायरल ऑडियो में एकमात्र विधायक और सरकार में मंत्री सत्यानंद भोक्ता की बीजेपी के दामन थामने की बात थी. वहीं आरजेडी पार्टी के सूत्रों की माने तो आईएनडीआईए में रहकर वो चतरा सीट से चुनाव लड़ना चाहता है.

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