मिशन 2024: बीजेपी का गढ़ रहा खूंटी लोकसभा, एनडीए के लिए फतह आसान नहीं, इंडी गठबंधन के लिए करो या मरो जैसे हालात

Akshay/ Rahul

Ranchi: खूंटी लोकसभा को 2019 के चुनाव के पहले बीजेपी का गढ़ माना जाता रहा है. इस लोकसभा सीट पर 15 बार चुनाव हुए हैं. जिसमें से सात बार बीजेपी के करिया मुंडा और एक बार अर्जुन मुंडा ने जीत हासिल की है. यानी 15 में आठ बार इस सीट पर बीजेपी की कब्जा रहा है. लेकिन 2019 के चुनाव में जिस तरीके के हालात खूंटी लोकसभी में बने थे, उससे साबित होता है कि बीजेपी 2019 के चुनाव नतीजों के बाद वहां कमजोर हुई है.

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बीजेपी की तरफ से अर्जुन मुंडा ने सिर्फ 1445 वोटों से जीत हासिल की थी. फिर भी पार्टी की तरफ से केंद्र सरकार ने दो-दो केंद्रीय मंत्रालय का दायित्व उन्हें दिया. इस बार खूंटी में उन्हें बीजेपी रिपीट करेगी या नहीं यह तो अभी नहीं कहा जा सकता है. लेकिन यह जरूर कहा जा सकता है कि इस बार भी बीजेपी के लिए यह सीट आसान नहीं है.

खूंटी झारखंड की उन सीटों में से एक है, जहां बीजेपी काफी तैयारी के साथ उतरने का प्लान तैयार कर रही है. वहीं इंडी गठबंधन की तरफ से जीत के अंतर को कम करना नहीं बल्कि नतीजों को पूरी तरह से बदल देने पर जोर दिया जा रहा है. इस बार के हालात को ऐसे भी समझा जा सकता है कि 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान तमाड़ विधानसभा से अजसू और सिमडेगा विधानसभा से बीजेपी के विधायक थे. जबकि अब दोनों सीट इंडी गठबंझन के पास हैं.

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खूंटी लोकसभा सीट

झारखंड की खूंटी लोकसभा सीट में चार जिलों के विधानसभा आते हैं. जिसमें छह विधानसभा सीट हैं. खूंटी, तमाड़, सिमडेगा, कोलेबिरा, सरायकेला-खरसांवा और तोरपा विधानसभा शामिल हैं. 1962 में अस्तित्व में आयी इस लोकसभा सीट पर 1971 तक झारखंड पार्टी का कब्जा रहा. 1977 में जनता पार्टी के उम्मीदवार ने जीत दर्ज करायी. 1980 झारखंड पार्टी के उम्मीदवार ने फिर चुनाव जीता. उसके बाद सिर्फ 1984 और 2004 में कांग्रेस के उम्मीदवार चुनाव जीत पाए. 1989 में बीजेपी के टिकट पर कारिया मुंडा ने चुनाव लड़े और जीत दर्ज कराई. इसके बाद बीजेपी के जीत का सिलसीला जारी हुआ. 1991, 1996, 1999, 2009, 2014 और 2019 अर्जुन मुंडा ने चुनाव जीता है.

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विधानसभाओं में इंडी गठबंधन का दबदबा

इस लोकसभा सीट के अंतर्गत कुल छह विधानसभाएं आती हैं. जिसमें खरसावां विधानसभा पर जेएमएम से दशरथ गागराई, तमाड़ में जेएमएम से विकास मुंडा, तोरपा में बीजेपी से कोचे मुंडा, खूंटी में बीजेपी से नीलकंठ मुंडा, सिमडेगा में कांग्रेस से भूषण बारा और कोलीबेरा में कांग्रेस से नमन बिक्सल विधायक हैं.

हार-जीत का अंतर

2019 के लोकसभा चुनाव में कुल 8,32,824 वोट पड़े थे. कांग्रेस से उम्मीदवार कालीचरण मुंडा को 3,81,193 वोट मिले और एनडीए से चुनाव लड़ रहे बीजेपी उम्मीदवार अर्जुन मुंडा को 3,82,638 वोट मिले थे. वोटों का अंतर सिर्फ 1445 का था. 2014 में कुल 7,37,611 वोट पड़े थे. जिसमें बीजेपी के करिया मुंडा को 2,69,185 वोट, झारखंड पार्टी के उम्मीदवार एनोस एक्का को 1,76,937 वोट मिले थे. करिया मुंडा ने 92,248 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी.

इस बार के संभावित उम्मीदवार

खूंटी में इस बार बहुत कुछ देखने को मिल सकता है. दबी जुबान से यह बात हो रही है कि अर्जुन मुंडा पिछली बार के नतीजों से खुश नहीं है और वो जमशेदपुर शिफ्ट करना चाहते हैं. अगर वो जमशेदपुर शिफ्ट होते हैं तो रेस में सबसे आगे नीलकंठ सिंह मुंडा हो जाएंगे. वहीं पूर्व मंत्री करिया मुंडा के बेटे जगन्नाथ मुंडा का नाम भी चल रहा है. यह समीकरण तो बीजेपी का है.

लेकिन इंडी गठबंधन की बात करें तो निश्चित तौर पर यह सीट कांग्रेस के खाते में जाएगी. कांग्रेस के खाते में सीट जाते ही कालीचरण मुंडा उम्मीदवारी के लिए सबसे परफेक्ट होंगे. लेकिन कहीं अर्जुन मुंडा की जमशेदपुर शिफ्ट होते हैं और टिकट नीलकंठ सिंह मुंडा को मिलती है, तो यहां का खेल काफी रोचक हो जाएगा. पहली बार दो सगे भाई किसी लोकसभा सीट से उम्मीदवारी कर रहे होंगे क्योंकि नीलकंठ सिंह मुंडा और कालीचरण मुंडा दोनों सगे भाई हैं, ऐसे में चुनाव के वक्त के हालात को समझा जा सकता है.

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