क्या सरकार से ज्यादा मंत्री बन्ना गुप्ता को है स्वास्थ्य विभाग की चिंता? या फिर पार्टी या शासन का नहीं चलता है उनपर जोर! -प्रदेश प्रभारी ने जानें क्या कहा

Akshay Kumar Jha

Ranchi: झारखंड में ऐसा पहली बार ही हुआ है कि किसी विभाग के मंत्री ने अपने ही विभाग के सचिव पद के लिए किसी अधिकारी को प्रभार दे दिया हो. जबकि नियम की बात करें तो यह अधिकार सिर्फ राज्य के मुख्यमंत्री के पास होता है या फिर सिर्फ 30 दिनों के लिए मुख्य सचिव के आदेश पर किसी आईएएस अधिकारी को किसी पद का प्रभार दिया जा सकता है. लेकिन इन सारे नियमों को ताक पर रखकर स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने अपने विभाग के अभियान निदेशक आलोक त्रिवेदी को प्रभार देने का आदेश पहले अपने ही लेटर पैड पर निकलवा दिया. फिर बाद में स्वास्थ्य विभाग की तरफ से अधिसूचना भी जारी करवा दी.

इस मामले पर एक सीनियर आईएएस अधिकारी ने कहा कि One illegal order is covered by other यानी एक गैरकानूनी आदेश को छिपाने के लिए दूसरा गैरकानूनी आदेश निकाल दिया गया. वहीं कांग्रेस के ही एक विधायक का कहना है कि पता नहीं यह झारखंड में क्या हो रहा है. ऐसा लगता ही नहीं है कि अब झारखंड भारत का हिस्सा रह गया हो. जिसे जो मन आ रहा है वो कर रहा है.

क्या सरकार से ज्यादा मंत्री को है विभाग की चिंता

मंत्री बन्ना गुप्ता के इस कदम के बाद कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. बात यह भी हो रही है कि क्या बन्ना गुप्ता की बात सरकार में बैठा शीर्ष नेतृत्व नहीं मानता है. क्या पार्टी के माध्यम से मंत्री बन्ना गुप्ता सरकार तक अपनी बात नहीं पहुंचा पाते हैं. या फिर अपनी ही पार्टी के लोग मंत्री बन्ना की बात नहीं मानते हैं. बातें यह भी हो रही हैं कि मंत्री जी शायद खुद को सरकार से भी ऊपर समझते हैं. दूसरी तरफ कुछ बुद्धिजीवियों का यह कहना है कि मंत्री जी के इस कदम के बाद सरकार का आगे आकर विभाग की अधिसूचना को रद्द नहीं करना भी लोगों को चौंका रहा है.

मंत्री तक फाइल का नहीं पहुंचना कहीं कारण तो नहीं बना

बता दें कि 31 दिसंबर को स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह रिटायर हो गए. करीब 18 दिनों से सचिव का पद खाली है. कहा जा रहा है कि इतने दिनों से मंत्री जी तक विभाग से जुड़े फाइल नहीं पहुंच रहे हैं. क्या इसी वजह से मंत्री जी ने तो ऐसा कदम नहीं उठा लिया. लेकिन सवाल है कि जब सरकार ही विभाग में सचिव बहाल नहीं कर रही तो मंत्री जी क्यों परेशान हैं. इससे ज्यादा दिनों से वन-पर्यावरण विभाग के सचिव का पद खाली है. लगभग एक महीने पूर्व एल ख्यांगते को मुख्य सचिव बनाने के बाद से इस विभाग में सचिव नहीं है. लेकिन सरकार की तरफ से अभी तक किसी दूसरे आईएएस को प्रभार नहीं दिया गया है.

आपने जानकारी दी है अपने सिस्टम से चेक करूंगाः कांग्रेस प्रभारी

इस मामले पर न्यूज विंग ने कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी गुलाम अहमद मीर से बात की. उन्होंने सारी बात सुनने के बाद कहा कि अभी तक इस बात की जानकारी उन्हें नहीं थी. आपने ही पहली बार इस संबंध में मुझसे बात की है. मैं अपने तरीके से अपने सिस्टम से मामले की जांच करूंगा तभी इस मामले पर कुछ कह पाऊंगा.

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