झारखंड विधानसभा बजट सत्र 2024: जेएसएससी परीक्षा पेपर लीक मामले की सीबीआई जांच का शोर

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Ranchi: झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे दिन सोमवार को सदन में जेएसएससी परीक्षा में पेपर लीक का मामला खूब जोर शोर से उठा. विपक्ष इसकी सीबीआई जांच की मांग को लेकर शोर करता रहा जबकि सत्ता पक्ष की ओर से एसआइटी जांच पर भरोसा जताया गया. सदन शुरू होते ही भाजपा के बिरंची नारायण, अमर कुमार बाउरी सहित अन्य नेता लगातार इस बात की मांग करते रहे कि सरकार मामले की सीबीआई जांच कराए. बिरंची ने सरकार से पूछा कि आखिर उसे पेपर लीक मामले में सीबीआई जांच से क्या दिक्कत है.

संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने इस पर कहा कि एसआइटी का गठन हुआ है. अगर इससे बात नहीं बनी तो आगे देखा जायेगा. नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते कहा कि पूरे राज्य का युवा मानता है कि पेपर लीक मामले की सीबीआई जांच हो. सरकार ने पिछले सत्र में नकल की रोकथाम संबंधी बिल पास किया था. पर इस पर अमल कहां हो रहा है. परीक्षा लेने वाली एजेंसी या अफसरों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. सरकार को चाहिय कि वह बताये कि कितनी कंपनियों को परीक्षा के संचालन का जिम्मा दिया था. अभी जिस तरह से तस्वीर सामने आ रही है, साफ दिखता है कि सरकार का संरक्षण कुछ लोगों को प्राप्त है. वह खुद और अपने करीबियों को बचाने को सीबीआई जांच से भाग रही है. सरकार इसकी सीबीआई जांच की अनुशंसा क्यों नहीं कर देती.

दूध की रखवाली बिल्ली कोः बिरंची

बिरंची नारायण ने एसआइटी जांच को प्रभावी नहीं बताया. कहा कि दूध की रखवाली का जिम्मा बिल्ली को देने से बात नहीं बनेगी. एसआइटी जांच से क्या परिणाम निकलेगा, सबको पता है. चर्चा में भाग लेते विधायक इरफान अंसारी ने कहा कि यह सही है कि पेपर लीक से गलत संदेश गया है. पर सरकार को चाहिये कि वह जांच कराती रहे पर एग्जाम भी ले ले. युवाओं का भविष्य ना बर्बाद हो. इसके बाद सदन की कार्यवाही दोपहर साढ़े बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई.

27 फरवरी को अनुपूरक बजट

गौरतलब है कि झारखंड विधानसभा का बजट सत्र बीते 23 फरवरी से शुरू हुआ है. 27 फरवरी को सदन में वित्त रामेश्वर उरांव कई विभागों की मांगों से संबंधित अनुपूरक बजट पेश करेंगे, इस पर चर्चा भी होगी. इससे पहले आज सोमवार को सदन के पटल पर आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश किया जाएगा. फिलहाल बजट सत्र में 2 मार्च तक सदन की कार्यवाही चलेगी, जिसमें 7 कार्यदिवस निर्धारित हैं. इस दौरान कई महत्वपूर्ण विधेयक भी पेश किए जाने की भी संभावना है हालांकि विपक्ष के कई विधायकों ने इतने छोटे सत्र के लिए आपत्ति जताई है. कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में सत्र की कार्यावधि बढ़ाये जाने को लेकर भी बात हुई है.

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