मिशन 2024: झारखंड में NDA और I.N.D.I.A के लिए “उम्मीदों की रोशनी” बनते ट्राइबल वोटर

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Principal Correspondent

Ranchi: झारखंड के ट्राइबल वोटर सभी सियासी दलों के लिए बड़ी हसरत रहे हैं. 15 नवंबर 2000 को अलग राज्य बनने के बाद से ही. कहें कि यहां की राजनीति ही आदिवासी केंद्रित रही है. यही वजह भी है कि इसके लिए सियासी दांव-पेंच हमेशा बना दिखता है. अगले साल (वर्ष 2024) लोकसभा चुनाव होने हैं. जाहिराना तौर पर भाजपा और उसके सहयोगी दलों (एनडीए) तथा झामुमो-कांग्रेस(I.N.D.I.A) ट्राइबल वोटरों को देखते अपनी अपनी रणनीतियों को धार देने और मिशन 2024 की रेस में शामिल हो गये हैं.

एनडीए की ओर से खुद पीएम नरेंद्र मोदी भी मोर्चे पर जम चुके हैं. हाल के दिनों में खूंटी आकर बिरसा मुंडा की धरती से विकसित भारत संकल्प यात्रा को हरी झंडी दिखाना इसी का एक उदाहरण माना जा रहा. पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी की संकल्प यात्रा हो या आदिवासी अधिकार मोटरसाइकिल यात्रा, सबों में ट्राइबल एरिया और वोटरों पर नजर है. वहीं, सीएम हेमंत सोरेन भी संताल परगना और कोल्हान में अपनी उपस्थिति को लगातार मजबूत बनाने में जुटे हैं. सरकार आपके द्वार जैसे कार्यक्रम को इसी का एक हिस्सा माना जा रहा है.

संताल और कोल्हान पर फोकस

राज्य में लोकसभा की 14 सीटें हैं. साथ ही राज्य की 81 विधानसभा सीटों में 28 सीटें जनजातियों के लिए सुरक्षित हैं. झारखंड राज्य गठन के बाद रघुवर दास को छोड़कर तमाम मुख्यमंत्री इसी समुदाय के रहे हैं. चूंकि आदिवासी वोटों का झुकाव सत्ता तक पहुंचने की चाबी है. ऐसे में आदिवासी वोटरों को गोलबंद करने की कवायद सभी दल करते रहे हैं. वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की हाथ से सत्ता फिसलने का सबसे बड़ा कारण आदिवासी सुरक्षित सीटों पर पार्टी का बेहद खराब प्रदर्शन रहा. सिर्फ दो जनजाति सुरक्षित सीटों पर भाजपा काबिज हो सकी. ज्यादातर सीटें झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस के हिस्से में जाने के कारण भाजपा को सत्ता से बेदखल होना पड़ा.

अबकी चूंकि राज्य में झामुमो गठबंधन की सरकार है. ऐसे में सीएम हेमंत सोरेन लोकसभा चुनाव के दौरान एनडीए को तगड़ी चुनौती देते दिख रहे हैं. कोल्हान और संतालपरगना में अपनी पार्टी और गठबंधन के लिए किलेबंदी को अभेद्य करने में लगे हैं. साहिबगंज के बरहेट से आपकी योजना, आपकी सरकार, आपके द्वार कार्यक्रम के तीसरे चरण की शुरूआत की है. पूर्व के दो चरणों में भी कोल्हान और संताल परगना में इस अभियान पर विशेष जोर रखा था.

सत्तारूढ़ दल की चुनौती और एनडीए की राह कोल्हान और संताल में आसान बनाने को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी लगातार मोर्चा संभालते दिख रहे हैं. राज्य के सभी विधानसभा क्षेत्रों में दौरा और जनसभाओं के आयोजन के बाद अब वे फिर आदिवासी अधिकार यात्रा पर संताल में पहुंचे हैं. संतालपरगना में पिछले विधानसभा चुनाव में 18 में से महज 3 सीटें भाजपा के खाते में आयी थीं. कोल्हान में 14 में से एक पर भी भाजपा नहीं टिकी. ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व मिलने के बाद से बाबूलाल इन इलाकों में लगातार किलाबंदी करने और चौदहों लोकसभा सीट जीतने का जतन कर रहे हैं.

नरेंद्र मोदी की भी मदद

केंद्र में लगातार तीसरी बार भाजपा की सरकार बनाने की खातिर झारखंड में ट्राइबल वोटरों को केंद्र में रखा गया है. 2019 के चुनाव में राजमहल और सिहंभूम सीटों को छोड़ भाजपा ने यहां 12 सीटों पर कब्जा किया था. अबकी लक्ष्य चौदहों सीटों का है. सत्तारूढ़ I.N.D.I.A भी तैयारियों को अंतिम रूप दे रहा है. 2018 में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने में आदिवासी वोटों की बड़ी भूमिका रही. ऐसे में बीजेपी इस बार झारखंड जैसे राज्य को लेकर गंभीर है.

14 नवंबर को रांची में पीएम मोदी को रोड शो इसलिए भी प्लान किया गया था. 15 नवंबर को खूंटी में उलिहातू में जनजाति समाज के लिए लोक कल्याण कार्यक्रमों की सौगात के अलावा धरती आबा बिरसा मुंडा के परिजनों से मिलना भी एक अहम कार्यक्रम रहा. 15 नवंबर को बिरसा मुंडा की जयंती पर राष्ट्रीय जनजाति गौरव दिवस केंद्र की ओर से घोषित किए जाने के अलावा पहली आदिवासी महिला को राष्ट्रपति भवन भेजने का श्रेय भी भाजपा चुनावी राज्यों में लेती रही है. अब भाजपा के ये प्रयास उसके लिए कितने फलदायी साबित होते हैं, इसका पता लोकसभा चुनाव 2024 में ही लगेगा.

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