योगेन्द्र तिवारी को झामुमो ने बताया प्यादा, भाजपा के दिग्गज नेता को असली खिलाड़ी बताते सरकार से की SIT जांच की मांग

1 min read

Ranchi: झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने योगेन्द्र तिवारी प्रकरण में कहा कि उन्होंने उसे तीन माह पूर्व ही आशंका व्यक्त कर दी थी, यह अब रुप ले रहा है. शनिवार को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि योगेन्द्र तिवारी तो एक छोटा सा प्यादा है, उसके साथ तो भाजपा के बड़े-बड़े नेता जुड़े हैं, भाजपा से जुड़े उनके निजी सचिव जैसे लोग हैं.

इसे भी पढ़ें: 

सुप्रियो ने कहा कि योगेन्द्र तिवारी का इस भ्रष्टाचार के कारोबार में जहां जन्म हुआ, जिनके द्वारा कंपनियां बनाई गई, उनमें तो भाजपा के बड़े नेता, उनके सगे-संबंधियों की भी संलिप्तता रही है. तभी से कारोबार शुरु हुआ और जमीन हड़पी गई. शराब का धंधा प्रारम्भ हुआ पर प्रवर्तन निदेशालय को तो ये सब सूझ नहीं रहा, उसके सेलेक्टिव टारगेट में भाजपा तो हैं नहीं, उसके टारगेट में तो गवर्नेंस ऑफ झारखण्ड है.

भाजपा और ईडी पर साधा निशाना

सुप्रियो ने कहा कि राज्य सरकार एसीबी के द्वारा जांच करा रही थी और इस जांच में आगे बढ़ रही थी। दायरा जांच का अब सिकुड़ता जा रहा था तो भाजपा के एक नेता को राज्यपाल बना दिया गया. सुप्रियो का इशारा भाजपा नेता रघुवर दास की ओर था. दरअसल ये पूरा खेल एक व्यक्ति को टारगेट करके किया जा रहा है. सुप्रियो ने कहा कि ईडी क्यों नहीं मनी लॉउड्रिंग का मामला होने पर भी बैंक के सारे ट्रांजेक्शन को देखती है, उसके लिए तो ऐसा करना बहुत ही आसान है. लेकिन चूंकि ऐसा करने पर भाजपा के बड़े-बड़े नेताओं का नाम आ जायेगा. भाजपा का चाल, चरित्र व चेहरा उजागर हो जायेगा तो वो ऐसा करने से बचना चाहती है. जबकि ईडी अच्छी तरह जानती है कि भाजपा के नेताओं का आज भी उन लोगों से रिश्ते बदस्तूर कायम है पर यहां तो दूसरा ही नैरेटिव रचा जा रहा है.

SIT जांच की मांग

सुप्रियो ने हेमन्त सरकार से मांग की कि वो जितनी जल्द हो सके, इस पर एसआइटी का गठन कर जांच प्रारंभ करवाये. साजिशकर्ताओं को जनता के सामने रखने का काम करें, क्योंकि राज्य के पास भी अपना तंत्र हैं और उसे अपने तंत्र का भी इस्तेमाल करना ही चाहिये. इस शराब के खेल में कौन-कौन लोग अब तक शामिल रहे हैं? भाजपा से जुड़े किन-किन व्यक्तियों की इसमें कौन-कौन सी भूमिका रही है? पता तो लगना ही चाहिए कि भाजपा के किस वर्तमान से पूर्व विधायक की इसमें क्या कारगुजारी रही हैं?

सुप्रियो ने कहा कि आखिर योगेन्द्र तिवारी को आगे रखकर ईडी क्या साबित करना चाहती है? जबकि वो सब जानती है कि किसके संरक्षण में योगेन्द्र तिवारी फला-फूला? कहां से पैसे आये? किन-किन के शासनकाल में क्या हुआ? इसलिये राज्य सरकार को चाहिए कि इन सारी प्रश्नों का उत्तर जानने के लिए अपनी ओर से एसआइटी का गठन कर जांच जल्द शुरु कराए.

You May Also Like

More From Author

+ There are no comments

Add yours