रूस का जो बाइडेन पर आरोप, कहा- चुनावी फायदे के लिए इराक-सीरिया पर हुए हमले

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Russia: रूस ने एक बयान में कहा किजो बाइडेन चुनावी फायदा ले रहे हैं. चुनाव में फायदे के लिए इराक-सीरिया पर हमले हो रहे हैं.  रूस ने आरोप लगाते हुए कहा कहा कि ये पलटवार अमेरिकी सैनिकों पर घातक हमले के प्रतिशोध में नहीं था बल्कि राष्ट्रपति चुनाव में अपनी छवी को अच्छा बनाने के लिए किया गया था. अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव होना है. ऐसे में राष्ट्रपति के सभी उम्मीदवार कैंपेन कर रहे हैं.

जॉर्डन में एक हमले में तीन अमेरिकी सैनिकों के मारे जाने के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका ने ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड  और उससे संबंधित समूहों से जुड़े दर्जनों ठिकानों पर शुक्रवार ( 2 फरवरी) को हवाई हमले शुरू किए, जिसके लिए वाशिंगटन ने ईरानी समर्थित मिलिशिया को जिम्मेदार ठहराया है.

वहीं सुरक्षा परिषद की एक बैठक में रूस के राजदूत ने कहा कि अमेरिकी कार्रवाई का कोई औचित्य नहीं था. उन्होंने कहा कि यह सिर्फ इसलिए किया गया क्योंकि अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव अभियान का माहौल है और राजनीतिक परिदृश्य इससे प्रभावित होगा. साथ ही साथ उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में वर्तमान अमेरिकी प्रशासन की विनाशकारी छवि को किसी तरह से ठीक करने की भी कोशिश की गई है.

सुरक्षा परिषद में मौजूद अमेरिका के उप उच्चायुक्त रॉबर्ट वूड ने जानकारी दी कि सुरक्षा परिषद के अनुच्छेद 51 में लिखा हुआ है कि अगर कोई किसी देश पर हमला करता है तो आत्मरक्षा के लिए वो भी पलटवार कर सकता है. उन्होंने कहा कि सीरिया और इराक पर किए गए हमले संवैधानिक है.

वूड ने कहा “मैं स्पष्ट कर दूं कि हम ईरान के साथ सीधे संघर्ष की मांग नहीं कर रहे हैं. लेकिन हम बचाव करना जारी रखेंगे.” सीरिया और इराक में जो हमले हुए वो अलग ऑपरेशन थे. अमेरिका और ब्रिटेन का लाल सागर में नौवहन को हौथी द्वारा निशाना बनाने के जवाब में ये हमला था.

 

पेंटागन ने कहा कि उसे हाल के हमलों में किसी ईरानी की मौत की जानकारी नहीं है. ईरान के संयुक्त राष्ट्र राजदूत अमीर सईद इरावानी ने अमेरिकी कार्रवाई की निंदा करते हुए इसे “नाजायज, अवैध और अनुचित” बताया. उन्होंने 15 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को बताया, “क्षेत्र में सभी प्रतिरोध समूह स्वतंत्र हैं.” “इन कार्यों के लिए ईरान या उसके सशस्त्र बलों को जिम्मेदार ठहराने का कोई भी प्रयास भ्रामक, निराधार और अस्वीकार्य है. ईरान कभी भी इस क्षेत्र में फैलाव में योगदान नहीं देना चाहता है.”

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