शीतकालीन सत्र: लंबोदर महतो ने अनुपूरक बजट लाने पर पूछा सवाल, सुदिव्य सोनू, शिल्पी, प्रदीप यादव ने कहा- केंद्र ने सहायता में की कटौती

Ranchi::झारखंड विधानसभा क शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन दोपहर 2 बजे भोजनावकाश के बाद जब विधानसभा की कार्यवाही पुनः शुरू हुई तो इस दौरान अनुपूरक बजट पर कटौती पर चर्चा हुई. हालांकि इस दौरान भाजपा के सभी विधायक सदन से अनुपस्थित थे.आजसू पार्टी के गोमिया से विधायक लंबोदर महतो ने बजट पर कटौती प्रस्ताव का समर्थन करते कहा कि पहले तो सरकार बताए कि आखिर इसे लाने की जरूरत क्यों पडी.मूल बजट ही सरकार खर्च नहीं कर पा रही और अबतक दो बार अनुपूरक बजट लाया जा चुका है. आखिर ऐसी क्या परिस्थिति बनी कि सरकार ऐसा कर रही है. इस वर्ष के बजट की आधी राशि भी खर्च नहीं हो पायी है.  राजस्व प्राप्ति की स्थिति निराशाजनक है. वित्तीय स्थिति का आंकलन सरकार करे. वास्तव में यह सरकार हर मोर्चे पर फेल है.
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लंबोदर ने सवाल उठाते कहा कि पिछले वर्ष इसी सदन में 1932 आधारित स्थानीय नीति को लाया गया,आखिर वह कहां गया. नियोजन नीति की वजह से लाखों युवा सड़कों पर भटक रहे हैं. बिहार सरकार ने अपने खर्च पर जाति जनगणना करायी. नौकरियों में 75 फीसदी आरक्षण सुनिश्चित किया. ताकि कोई इसे कोर्ट में चैलेंज नहीं कर सके. अगर बिहार में यह सब हो सकता है तो, यहां क्यों नहीं. यहां ओबीसी आरक्षण, स्थानीय नीति पर सरकार लगातार छल रही है. आज तक यहां झारखंड आंदोलनकारियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिला. उत्तराखंड जैसे राज्य में वहां के आंदोलनकारियों को 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण का लाभ दिया गया है. अब भी यहां झारखंड आंदोलन चिन्हितीकरण आयोग के पास 58 हजार आवेदन पडे हैं.

लंबोदर के मुताबिक विस्थापन आयोग के गठन की जरूरत राज्य में है. कहा कि सीएम ने भी सदन में इसे स्वीकार किया है..पर सरकार अबतक बता नहीं सकी है कि ऐसा कब होगा. कोल बियरिंग एक्ट बने 70 साल हो गये. पर ट्रिब्यूनल नहीं होने से विस्थापित भटक रहे हैं. मुआवजा, पुनर्वास जैसे मसले का अंत नहीं है. सरकार स्थानीय नीति, नियोजन नीति को लेकर सदन में कुछ और बाहर कुछ और कहती है. ऐसे में युवा भटकने को बेबस हैं. 23 सालों में इस राज्य में अभी तक 11वीं जेपीएससी की वेकेंसी नहीं आयी है.

उधर, सरकार 38 हजार नयी नौकरियां देने का भरोसा दिला रही है. आखिर नीति की कमी की वजह से कब-तक युवाओं को विकट स्थिति का सामना करना होगा. सरकार कैलेंडर निर्धारित कर एग्जाम ले. नियोजन नीति तय करे. 3.50 लाख युवाओं के भविष्य को बर्बाद होने से रोके. लंबोदर ने लचर पुलिसिंग पर भी सवाल दागा. कहा कि विधि व्यवस्था को लेकर पुलिस काम नहीं कर रही. 14 हजार से अधिक महिलाओं के खिलाफ दुष्कर्म के मामले सामने आ चुके हैं. गोमिया में डिग्री कॉलेज में शिक्षकों की कमी का मसला भी रखा. तेनुघाट डैम को पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने को कहा. बेरमो अनुमंडल को जिला बनाए जाने की भी मांग लंबोदर महतो ने रखी.

केंद्र कर रहा भेदभाव

सुदिव्य सोनू ने अनुदान मांगों के समर्थन में कहा कि केंद्र के रवैये के चलते राज्य सरकार को ऐसा करना पड़ रहा है. केंद्र के पास एक लाख 36 हजार करोड़ बकाया है. पैसे की मांग पर 200 करोड़ रुपये ही दिए गए. पीएम आवास के लिए 2021 से झारखंड को पैसे नहीं मिल रहे. 2022 में तो झारखंड का कोटा काट कर 1 लाख 44 हजार आवास यूपी को दे दिया गया. ऐसे में राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से 8 लाख अबुआ बनाने का लक्ष्य तय किया है.

1932 के खतियान आधारित नीति के मसले पर सदन से विधेयक राजभवन भेजा गया पर आजसू पार्टी के लोगों ने कभी इसके लिए ढंग से आवाज नहीं उठायी. राजभवन से संदेश के साथ इसे लौटा दिया गया. पर यहां की जनता देखेगी कि 1932 के खतियान पर कौन दल किधर है. कल का दिन इस विधेयक पर ऐतिहासिक होगा और सबके चेहरे से नकाब हटेगा. ओबीसी को 27℅ आरक्षण के विधेयक पर विपक्ष राजभवन से पूछे. बिहार में सभी राजनीतिक दलों ने एक स्वर में जाति जनगणना और आरक्षण का समर्थन किया पर इस राज्य में सब गवाह हैं कि कैसे भाजपा के लोगों ने यहां की नीतियों, विधेयकों को रद्द कराया. उन्हें अपने राजनीतिक हित से मतलब है ना कि राज्य हित से.

पंचायत स्वयंसेवक, आंगनबाड़ी कर्मी और अन्य को यहां इसलिए जूझना पड़ रहा है क्योंकि केंद्र से आवास योजना और दूसरे मदों से मदद नहीं मिल रही. पूरे देश में शिक्षा का बजट बढाने में झारखंड अव्वल रहा है, इसे देखा जाना चाहिए. वित्तीय घाटा भी कम किया गया है. सोनू के मुताबिक विपक्ष के पास मुद्दा ही नहीं है. इसलिए भाजपी आइटी, इडी, सांसद धीरज साहू जैसे मसले को लाता है. 2024 में होने वाले चुनावों के लिए विपक्ष में घबराहट है.

आरटीआई, खाद्य सुरक्षा कानून को कमजोर कर रही सरकार: शिल्पी नेहा

शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि केंद्र का रोल बड़े भाई की तरह होनी चाहिए कि वह छोटे को मदद दे। पर उल्टे खाद्य सुरक्षा कानून, आरटीआई, मनरेगा को कमजोर किया है. 2019-20 में मनरेगा श्रमिकों की मजदूरी का आधा पैसा भी समय पर नहीं दिया. मनरेगा, पीएम आवास में कटौती से यहाँ के कमजोर वर्गों के लोगों को नुकसान हुआ है.

प्रदीप यादव ने भी भाजपा सरकार और उसके कार्यकाल को घेरा. सरयू राय ने कहा कि पिछले चार सालों में जिन योजनाओं पर पैसे निकले, उसकी वास्तविक स्थिति को भी देखा जाए. इसके लिए जरूरी मानव बल की उपलब्धता को भी देखें. सदन में जो सवाल आते हैं, उसका गोल मोल जवाब दिया जाता है. इसे भी देखा जाना चाहिए.

अनुपूरक बजट के कटौती और समर्थन में दस विधायकों ने हिस्सा लिया. इनमें लंबोदर महतो, शिल्पी नेहा तिर्की, इरफान अंसारी, सुदिव्य सोनू, उमा शंकर अकेला, सुनीता चौधरी, विनोद सिंह, प्रदीप यादव, सरयू राय, अमित यादव, समीर मोहंती शामिल हैं. इस दौरान भाजपा के सभी विधायक सदन से अनुपस्थित रहे.

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