Ranchi: राज्य के नगर निकायों में नक्शे स्वीकृति में पैसों के खेल मामले में कोर्ट के स्वत: संज्ञान की झारखंड हाई कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई. मामले में आरआरडीए की ओर से कोर्ट को बताया गया कि कोर्ट के आदेश के आलोक में बजरा मौजा में नदी के निकट बने भवनों के बारे में सर्वे रिपोर्ट तैयार हो चुकी है, रिपोर्ट कोर्ट में जल्द जमा कर दिया जाएगा. इसलिए रिपोर्ट दाखिल करने के लिए समय दिया जाए, जिस पर हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एस चंद्रशेखर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने आरआरडीए को जवाब दाखिल करने के लिए समय प्रदान करते हुए मामले की सुनवाई 17 जनवरी निर्धारित की.
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दरअसल, पिछले सुनवाई में कोर्ट के आदेश के आलोक में आरआरडीए के वाइस चेयरमैन अमित कुमार एवं टाउन प्लानर स्वप्निल मयूरेश कोर्ट के समक्ष समक्ष उपस्थित हुए थे. खंडपीठ ने आरआरडीए वाइस चेयरमैन पर नाराजगी जताते हुए मौखिक कहा था कि जब कोर्ट के संज्ञान में हरमू नदी के उद्गम स्थल पर अतिक्रमण की बात आई और हाई कोर्ट के निर्देश पर एडवोकेट कमिश्नर ने उस क्षेत्र का दौरा किया था. उसके बाद आपने उस क्षेत्र का सर्वे क्यों नहीं किया, वहां कितने मकान बने हैं कितने अवैध है, इसके बारे में सर्वे आरआरडीए की ओर से क्यों नहीं किया गया.
टाउन प्लानर भी वहां एडवोकेट कमिश्नर के साथ गए थे, लेकिन उसके बाद आरआरडीए ने अतिक्रमण पर एक्शन नहीं लिया.अतिक्रमण से नदी की चौड़ाई पर कितना असर पड़ा है, इसका भी सर्वे होना करना चाहिए था. लेकिन आरआरडीए ने इसपर कुछ नहीं किया. जिसपर कोर्ट ने आरआरडीए को निर्देश दिया था कि एडवोकेट कमिश्नर के रिपोर्ट के आधार पर बजरा मौजा में नदी के निकट बने भवनों के बारे में सर्वे कर उस रिपोर्ट प्रस्तुत करें. सुनवाई के दौरान हरमू नदी में अतिक्रमण से संबंधित शिकायत करने वाले अधिवक्ता लाल ज्ञान रंजन भी उपस्थित थे. हाईकोर्ट के आदेश के आलोक में हाई कोर्ट द्वारा नियुक्त एडवोकेट कमिश्नर की तीन सदस्य वाली टीम ने हरमू नदी के उद्गम स्थल का निरीक्षण किया था. स्थल जांच के बाद एडवोकेट कमिश्नर की टीम के ओर से सीलबंद रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत किया गया है.
क्या है मामला
शिकायतकर्ता लाल ज्ञान रंजन सहदेव ने कोर्ट को बताया था कि हरमू नदी के उद्गम स्थल डीएवी हेहल, कटहल मोड़ के समीप कई लोगों ने नदी का अतिक्रमण कर लिया गया है. जोकि नगर विकास एवं आवास विभाग की अधिसूचना का स्पष्ट उलंघन है . नदी तथा प्राकृतिक नाले के 10 से 15 मीटर तक निर्माण कार्य नहीं हो सकता है. उसके बाद भी नियम विरुद्ध रांची नगर निगम/ आरआरडीए ने मल्टी स्टोरेज बिल्डिंग का नक्शा पास किया है, जिस पर निर्माण कार्य जारी है. पूर्व में भी हाईकोर्ट ने नदियों एवं प्राकृतिक नाले को अतिक्रमण मुक्त करने का अनेकों आदेश दिया है. लेकिन नदी की जमीन का अतिक्रमण नहीं रुक रहा है.
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