अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर पर ट्रंप का बयान: टैरिफ घटाने के संकेत, चीन ने दिखाई बातचीत की इच्छा

 

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर लगाए गए भारी टैरिफ को कम करने के संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा टैरिफ इतने ज्यादा हैं कि अमेरिका और चीन—दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं—अब आपस में व्यापार तक नहीं कर पा रही हैं।

एनबीसी के एक साक्षात्कार में ट्रंप ने कहा,
“किसी भी वक्त मैं चीन पर टैक्स घटा सकता हूं। अगर ऐसा नहीं हुआ तो व्यापार संभव नहीं होगा, जबकि वे व्यापार करना चाहते हैं।”

उन्होंने चीन की आर्थिक स्थिति पर सवाल उठाते हुए कहा कि वहां की फैक्ट्रियों की हालत 2023 के बाद से सबसे खराब दौर में है, और एक्सपोर्ट ऑर्डर में भारी गिरावट देखी जा रही है।

टैरिफ युद्ध का असर: दोनों देशों को नुकसान

ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के तहत चीन पर टैरिफ अप्रैल तक बढ़कर 145% तक पहुंच चुका है, जिसके जवाब में चीन ने अमेरिकी सामान पर 125% टैरिफ लगाया। इसका असर दोनों देशों के बाजारों, खासकर मैन्युफैक्चरिंग और उपभोक्ता वस्तुओं पर पड़ा है।

ट्रंप बोले: बातचीत की पहल नहीं करूंगा

जब साक्षात्कार में ट्रंप से पूछा गया कि क्या वह चीन से बातचीत के लिए टैरिफ कम करेंगे, तो उनका सीधा जवाब था –
“मैं ऐसा क्यों करूं?”
हालांकि उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि चीन की ओर से हाल ही में कुछ सकारात्मक संकेत मिले हैं, लेकिन किसी भी समझौते की शर्त ‘बराबरी’ होगी।

चीन ने दी बातचीत की मंशा, लेकिन शर्त रखी

चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने पहली बार संकेत दिए कि वह अमेरिका के साथ ट्रेड डील के लिए तैयार है, लेकिन शर्त रखी कि ट्रंप को एकतरफा तौर पर लगाए गए टैरिफ खत्म करने होंगे।

बोइंग और कीमती धातुओं पर भी असर

ट्रेड वॉर का असर अमेरिकी कंपनी बोइंग पर भी पड़ा है। चीन ने अपनी एयरलाइन कंपनियों को नए बोइंग विमानों की डिलीवरी न लेने और अमेरिकी एयरोस्पेस उपकरणों की खरीद रोकने के निर्देश दिए हैं।

साथ ही, चीन ने 7 रेयर अर्थ मटेरियल्स के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है, जो मोटर वाहनों, ड्रोन, रोबोट, सेमीकंडक्टर और मिसाइल निर्माण के लिए जरूरी हैं। ये अब केवल विशेष परमिट के ज़रिए ही चीन से बाहर भेजे जा सकेंगे, जिससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित होने की आशंका है।

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