ऑपरेशन सिंदूर के बाद केंद्र की कूटनीतिक पहल में शशि थरूर की बड़ी भूमिका

नई दिल्ली: भारत सरकार ने हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के बाद अपनी कूटनीतिक पहल को और मजबूत बनाने के उद्देश्य से वरिष्ठ कांग्रेस नेता और कूटनीति विशेषज्ञ शशि थरूर को एक महत्वपूर्ण भूमिका सौंपी है। यह कदम अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की स्थिति को और सुदृढ़ करने और दक्षिण एशियाई समीकरणों को पुनः परिभाषित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।


ऑपरेशन सिंदूर क्या है?

ऑपरेशन सिंदूर भारत का एक बड़ा सैन्य अभियान था, जिसमें पाकिस्तान द्वारा समर्थित आतंकवादी ठिकानों पर सटीक और प्रभावी हमले किए गए। इस ऑपरेशन के सफल समापन के बाद भारत ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने और वैश्विक समर्थन जुटाने की दिशा में अपनी कूटनीतिक गतिविधियों को तेज़ किया है।


शशि थरूर को क्यों चुना गया?

शशि थरूर एक अनुभवी कूटनीतिकार और पूर्व संयुक्त राष्ट्र राजनयिक रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय संबंधों और कूटनीति में उनके व्यापक अनुभव को देखते हुए केंद्र सरकार ने उन्हें इस पहल में अहम भूमिका देने का निर्णय लिया है।

  • थरूर ने संयुक्त राष्ट्र में कई वर्षों तक उच्च पदों पर कार्य किया है।

  • उनकी अंतरराष्ट्रीय पहचान और वैश्विक संपर्क भारत के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं।

  • थरूर की बहुभाषी क्षमता और संवाद शैली उन्हें वैश्विक नेताओं से प्रभावी संवाद स्थापित करने में सहायक बनाती है।


कूटनीतिक प्राथमिकताएँ क्या होंगी?

भारत सरकार के सूत्रों के अनुसार, शशि थरूर निम्नलिखित कूटनीतिक मुद्दों पर फोकस करेंगे:

  1. पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव: ऑपरेशन सिंदूर के बाद, पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के मुद्दे पर घेरना।

  2. यूरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्र में समर्थन: भारत के पक्ष में अधिक से अधिक समर्थन जुटाना और पाकिस्तान को अलग-थलग करना।

  3. मध्य पूर्व और अफ्रीका के देशों के साथ संबंध सुधारना: इन क्षेत्रों में भारत की कूटनीति को और अधिक सशक्त बनाना।

  4. एशियाई साझेदारों के साथ रणनीतिक संबंध: चीन की बढ़ती ताकत को संतुलित करने के लिए जापान, दक्षिण कोरिया, वियतनाम जैसे देशों के साथ संबंध मजबूत करना।


विदेश मंत्रालय का बयान

विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “शशि थरूर के अनुभव और अंतरराष्ट्रीय संपर्क भारत की कूटनीति को नई दिशा देने में मदद करेंगे। ऑपरेशन सिंदूर के बाद हमें अंतरराष्ट्रीय समर्थन को और अधिक प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत करने की आवश्यकता है, और थरूर इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।”


अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की स्थिति मजबूत करने की योजना

  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के मुद्दे पर जोर।

  • ब्रिक्स, शंघाई सहयोग संगठन (SCO) और G20 में भारत की स्थिति को और मजबूत बनाना।

  • एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सामरिक भागीदारी को बढ़ावा देना।


क्या है आगे की रणनीति?

शशि थरूर अगले कुछ हफ्तों में संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ, और मध्य पूर्व के देशों का दौरा करेंगे। इसके अलावा, वह विभिन्न अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे और भारत की कूटनीतिक स्थिति को और मजबूती प्रदान करेंगे।

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