गैर-नागरिकों की रेमिटेंस पर अमेरिका का 5% कर प्रस्ताव: भारतीय प्रवासियों पर क्या होगा असर?

 

 

वाशिंगटन, 17 मई: अमेरिकी हाउस ऑफ रिप्रेज़ेंटेटिव्स में पेश बहु-प्रस्तावक “One Big Beautiful Bill” (OBBB) में ऐसी धारा शामिल की गई है जिसके तहत अमेरिका से बाहर भेजे जाने वाले हर रेमिटेंस पर 5 % कर लगेगा—बशर्ते प्रेषक अमेरिकी नागरिक न हो। इसमें H-1B वीज़ा-धारक, ग्रीन-कार्ड होल्डर और अन्य अस्थायी/स्थायी निवासी सभी शामिल हैं; केवल प्रमाणित यूएस सिटिज़न इस कर से मुक्त रहेंगे।

विधेयक के अनुसार कर की राशि सीधे बैंकों-मनी ट्रांसफ़र एजेंसियों से काटी जाएगी और अमेरिकी कोषागार में जमा होगी। ड्राफ़्ट में कोई न्यूनतम सीमा तय नहीं है, यानी 100 डॉलर भेजने पर भी 5 डॉलर टैक्स देना होगा। प्रस्तावक सांसदों का दावा है कि इससे सीमा-सुरक्षा और अवैध आव्रजन नियंत्रण के लिये अतिरिक्त राजस्व जुटेगा।

भारतीय प्रवासियों पर संभावित बोझ
रिज़र्व बैंक (RBI) के आँकड़ों के अनुसार 2023-24 में अमेरिका से भारत को लगभग 32 अरब डॉलर (≈₹2.66 लाख कड़ोड़) भेजे गये। 5 % की दर लागू होती है तो भारतीय समुदाय को सालाना क़रीब 1.6 अरब डॉलर (≈₹13,300 कड़ोड़) अतिरिक्त कर चुकाना पड़ सकता है।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और आशंकाएँ
मैक्सिको की राष्ट्रपति क्लाउडिया शेइनबाउम ने इसे “अस्वीकार्य” बताते हुए कहा कि यह अप्रवासी-समुदायों पर अनुचित बोझ डालेगा। एनआरआई तथा ओसीआई संगठनों ने भी चेताया है कि ऊँची लागत के कारण लोग अनौपचारिक हवाला चेनलों का रुख कर सकते हैं, जिससे धन-शोधन और सुरक्षा-जोखिम बढ़ेंगे।

आगे की राह—कब लागू हो सकता है?
प्रतिनिधि सभा की बजट समिति ने बिल को प्रारम्भिक स्वीकृति दे दी है; पूर्ण सदन में जून-अंत तक मतदान की अटकलें हैं। यदि सीनेट भी सहमत हुई और राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर किये, तो लागू होने की संभावित तिथि वित्त-वर्ष 2026 की पहली तिमाही मानी जा रही है। फ़िनटेक विशेषज्ञ सलाह दे रहे हैं कि बड़े ट्रांसफ़र करने वाले प्रवासी क़ानून लागू होने से पहले धन भेजने पर विचार करें।

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