गर्मियों में बैक्टीरिया बूस्ट: हाबुर स्टोन (Habur Stone) और अन्य प्राकृतिक Tricks
गर्मी के मौसम में शरीर का तापमान बढ़ जाता है और पित्त दोष (हीट) सक्रिय हो जाता है। इसकी वजह से पेट की समस्याएं, स्किन रैश, थकान और अन्य कई परेशानियां हो सकती हैं। पर प्राचीन आयुर्वेद में ऐसी अनेक वनस्पति-औषधियां हैं जो हमारे शरीर को ठंडक, ऊर्जा और संतुलन प्रदान करती हैं। आइए जानते हैं कुछ असरदार घरेलू उपाय:
1. पेट में स्वस्थ बैक्टीरिया कैसे बढ़ाएं
- हाबुर स्टोन (Habur Stone) प्रयोग: हाबुर स्टोन प्राकृतिक खनिज पत्थर है, जो दूध में डालने पर 15 घंटे में दही जमेगा। वैज्ञानिक अध्ययन में इस दही में लगभग 3698 प्रोटियोटिक बैक्टीरिया पाए गए, जबकि साधारण दही में केवल 14–16 बैक्टेरिया मिलते हैं। यह हमारे इम्यून सिस्टम के लिए वरदान है।
- कांजी और अमृतधारा: चीनी-निष्कर्षित कांजी या बाजरे की काजी खाकर भी लाभ मिलता है। इसी तरह, कपूर-पुदीना-अजवाइन से तैयार की गई अमृतधारा (ईयूकेलिप्टस ऑयल या फेनल ऑयल मिलाकर) श्वसन शक्ति बढ़ाती है।
2. गर्मियों के लिए अनुकूल आहार और पेय
- मिट्टी के बर्तन में पानी और इलायची स्नान
- नहाने के पानी में छोटी इलायची (1–2 पीस) और खस पाउडर (½ चम्मच) मिलाकर स्नान करें। तुरंत ठंडक का एहसास होगा और पित्त दोष कम होगा।
- **ताजगी के लिए जामुन-तड़का
- बासी चावल में हाबुर-स्टोन दही का हल्का तड़का लगाकर खाने से पेट को ठंडक और ऊर्जा दोनों मिलती हैं।
- **ठंडक देने वाले शरबत
- बेल का शरबत: पके या आध-पके बेल को पानी में उबालकर छान लें। बिना चीनी या देसी मिश्री मिलाएं।
- गोंद-कतीरा शरबत: गोंद-कतीरा को भिगोकर ठंडे पानी में घोलकर मीठा या नमक मिलाकर पियें—यह पेट साफ करता है और ठंडक देता है।
- **फल-फूल की चटनी
- तिकोने खट्टे पत्ते (खटमलोड़ी): ऊँची चोटी के पत्तों की चटनी, थोड़ा नमक-मीठा मिलाकर बनाएं। बासी अनारदाना-पुदीना की चटनी भी फायदेमंद।
3. गर्मियों में सुरक्षा और रोग निवारण
- मच्छरों की छुट्टी
देसी गाय के गोबर, गुड़, घी, नागरमोथा-राल मिलाकर बनाए गए धूपबत्तियाँ (या पंचगव्य धूप) जलाएं—मच्छर और कोकरोच दोनों भाग जाएंगे। - दस्त, डिसेंट्री और बुखार
- दस्त पर देसी आम की गुठलियाँ, काली कर्कट श्रृंगी, सूखा आंवला मिलाकर पाउडर लें—एक-दो दिन में आराम मिलता है।
- बुखार (गर्मी से): सुदर्शन घनवटी (चिरायता आधारित) की गोली सुबह-शाम।
- टाइफाइड-संदेह में लंगन (उपवास), उबली खिचड़ी, होम्योपैथिया या चिकित्सक की सलाह से सोपिया / पेप्टिशिया।
4. स्किन केयर और रैशेस के उपाय
- उपटन पेस्ट
- जौ का आटा, मसूर का आटा, बेसन, तिल, मुल्तानी मिट्टी और पलाश के फूल बारीक पीसकर रख लें। नहाने से पूर्व चंदन के तेल या पानी में घोलकर शरीर पर लगाएं—त्वचा की टॉक्सिन निकलती है, ताजगी और ठंडक मिलती है।
गर्मी में रासायनिक उत्पादों से दूर रहकर ये पारंपरिक आयुर्वेदिक नुस्खे अपनाएं। प्राकृतिक बैक्टीरिया, ठंडक देने वाले पेय, संतुलित आहार और स्किन केयर से आप न केवल स्वस्थ रहेंगे, बल्कि ठंडक, ऊर्जा और मानसिक खुशी भी अनुभव करेंगे। स्वस्थ रहें, स्वस्थ जियें!