Cryptocurrency Ban नहीं, रेगुलेशन चाहिए: बिटकॉइन पर 30% टैक्स से मान्यता तय : सर्वोच्च अदालत ने सरकार को घेरा
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को क्रिप्टोकरेंसी के लिए नियामक ढांचे की अनुपस्थिति पर केंद्र सरकार से कड़ा सवाल किया। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन के सिंह की पीठ ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि क्रिप्टो लेन-देन पर पूर्ण प्रतिबंध अर्थव्यवस्था के लिए उचित नहीं माना जा रहा, लेकिन निगरानी और स्पष्ट नियम बेहद ज़रूरी हैं।
पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कहा, “बिटकॉइन के मुनाफे पर 30 फीसदी कर लगाया जा रहा है—यानी सरकार ने इसे किसी न किसी रूप में कानूनी मान्यता दी है। ऐसे में इसे विनियमित क्यों न किया जाए?”
मामला क्या है?
-
केस: शैलेश बाबूलाल भट्ट बनाम गुजरात राज्य एवं अन्य
-
आरोप: याचिकाकर्ता पर 2018 में बिटकनेक्ट के दो कर्मचारियों का अपहरण कर 2,091 बिटकॉइन, 11,000 लाइटकॉइन और 14.5 करोड़ रुपये वसूलने का आरोप।
-
पीठ की चिंता: अदालत को अभी स्पष्ट नहीं कि याचिकाकर्ता खुद पीड़ित है या अपराधी।
अदालत के निर्देश
-
CBI को 30 मई तक यथासंभव आगे की जांच पूरी करने का निर्देश।
-
केंद्र जुलाई तक जांच की प्रगति रिपोर्ट और क्रिप्टोकरेंसी पर अपना आधिकारिक रुख दाख़िल करे।
-
विस्तृत नीति का प्रश्न विशेषज्ञों से विमर्श कर अलग से निपटाया जाएगा; फिलहाल प्राथमिकता याचिकाकर्ता की भूमिका स्पष्ट करने पर।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा, “कल कोई पूछेगा कि यह डिजिटल संपत्ति है क्या? हम अदालत में इसे कैसे सिद्ध करेंगे? … अंतरराष्ट्रीय बाज़ार के चलते पूर्ण प्रतिबंध व्यावहारिक नहीं, पर नियमन की पहल होना ज़रूरी है।”
पीठ ने अगली सुनवाई 30 मई को तय की है।