झारखंड शराब घोटाला—ACB ने प्रधान सचिव विनय कुमार चौबे व संयुक्त आयुक्त गजेन्द्र सिंह को दबोचा, 3 जून तक न्यायिक हिरासत
रांची। राज्य एंटी-करप्शन ब्यूरो (ACB) ने मंगलवार को पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव विनय कुमार चौबे (IAS-1999) और राज्य उत्पाद विभाग के संयुक्त आयुक्त गजेन्द्र कुमार सिंह को कथित शराब नीति घोटाले में गिरफ्तार कर लिया। चौबे पूर्ववर्ती हेमन्त सोरेन सरकार में उत्पाद सचिव तथा झारखंड स्टेट बेवरेजेज कॉरपोरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक थे, जिनके कार्यकाल में नई आबकारी नीति लागू हुई थी।
मंगलवार सुबह करीब 11 बजे ACB की टीम ने चौबे को उनके आवास से उठाकर पूछताछ के लिए कार्यालय ले गई; सिंह को भी समान प्रक्रिया से लाया गया। पांच घंटे पूछताछ के बाद दोनों को औपचारिक रूप से गिरफ़्तार कर विशेष ACB अदालत में पेश किया गया, जहाँ अदालत ने उन्हें 3 जून तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
ACB ने इसी दिन कांड संख्या 9/25 दर्ज कर आरोप लगाया कि दोनों अधिकारियों ने नियुक्ति एजेंसियों के चयन में नियमों को दरकिनार कर राज्य सरकार को ₹38 करोड़ का नुकसान पहुँचाया। उन पर BNS की धारा 61(2) सहपठित 318, 336, 340, 316, 45, 49 तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7(Ⅽ), 12, 13(2) सहपठित 13(1)(a) के तहत मुकदमा दर्ज हुआ।
विशेष लोक अभियोजक आलोक कुमार ने अदालत में कहा कि प्रारंभिक जांच में आरोप सत्य पाए गए, अतः न्यायिक हिरासत जरूरी है। बचाव पक्ष के अधिवक्ता देवेश अजमानी का कहना था कि गिरफ़्तारी के आधार से जुड़े दस्तावेज अब तक उपलब्ध नहीं कराए गए; साथ ही चौबे की स्वास्थ्य-समस्याओं को देखते हुए अदालत ने समुचित चिकित्सा सुविधा के आदेश दिए हैं।
विदित हो, अक्टूबर 2024 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी चौबे व सिंह के ठिकानों पर छापे मारे थे। चौबे पूर्व में मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के सचिव, रांची DC समेत कई अहम पद संभाल चुके हैं। यह ACB का किसी शीर्ष नौकरशाह पर पहला बड़ा शिकंजा है।
पिछले सप्ताह हेमन्त मंत्रिमंडल ने नई आबकारी नीति को मंजूरी दी, जिसके तहत खुदरा शराब व्यवसाय पुनः निजी हाथों में जाने वाला है जबकि थोक व्यापार सरकार ही रखेगी। विपक्षी भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि “सरकार घोटाले की जांच को कमजोर कर केंद्रीय एजेंसियों से बचना चाहती है। यदि सरकार सचमुच पारदर्शिता चाहती है तो उसे यह मामला सीधे CBI को सौंपना चाहिए।”