रूस-यूक्रेन संघर्ष: ट्रंप की मध्यस्थता विफल, 30-दिवसीय युद्धविराम पर पुतिन ने नहीं मानी बात, EU ने लगाया 17वां प्रतिबंध-पैकेज
वाशिंगटन/मॉस्को, 23 मई 2025।
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति और रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित “24 घंटे में युद्ध रोकने” के दावे पर बनी रणनीति ढह गई है। तीन बार पुतिन से फोन पर बात करने और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की को सार्वजनिक रूप से फटकारने के बाद भी रूस-यूक्रेन मोर्चे पर संघर्ष थमा नहीं, बल्कि रूसी ड्रोन-हमलों ने हालात और बिगाड़ दिए।
फोन वार्ता और नाकाम ‘सीज-फायर’
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13 फरवरी: शपथ लेने के 24 दिन बाद ट्रंप ने पहली बार पुतिन को फोन कर “तुरंत वार्ता” की पेशकश की। पुतिन ने सैद्धांतिक सहमति जताई।
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28 फरवरी: व्हाइट हाउस में ज़ेलेंस्की को बुला कर ट्रंप ने युद्धविराम के बदले 350 अरब डॉलर की अमेरिकी मदद वापस मांगी; यूक्रेनी अध्यक्ष को सार्वजनिक रूप से अपमानित करने पर कड़ी आलोचना हुई।
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1 मार्च: ट्रंप ने पुतिन से दोबारा बात कर 30 दिवसीय युद्धविराम की घोषणा की, पर अगले ही दिन रूस ने यूक्रेन पर 214 ड्रोन दाग दिए।
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13 मई: ट्रंप ने इस्तांबुल में त्रिपक्षीय वार्ता की तारीख घोषित की; 14 मई को क्रेमलिन ने भागीदारी से इनकार किया।
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21 मई: दो-घंटे की तीसरी कॉल के बाद ट्रंप ने “सीज-फायर ऑन-ट्रैक” बताया, लेकिन क्रेमलिन ने किसी समयसीमा से इनकार कर दिया।
यूरोपीय संघ का जवाब
ट्रंप की पहल चरमराने के बीच यूरोपीय संघ ने आज रूस पर 17वां प्रतिबंध-पैकेज लागू किया, जिसमें ऊर्जा, समुद्री बीमा और रक्षा सहायता पर नई बंदिशें शामिल हैं। क्रेमलिन ने इसे “पहले से अप्रभावी” बताते हुए कहा कि मॉस्को वार्ता के लिए तैयार है, पर “डेडलाइन स्वीकार्य नहीं”।
यूक्रेन का रुख और घरेलू दबाव
ज़ेलेंस्की ने पुतिन पर “समय खींचने” का आरोप लगाते हुए चेताया कि रूसी हमले घटने के बजाय बढ़ रहे हैं। उधर, अमेरिकी कांग्रेस में डेमोक्रेटिक नेताओं ने ट्रंप पर “कूटनीतिक अपरिपक्वता” का आरोप लगाया, जबकि उनके समर्थकों ने सोशल मीडिया पर पुनः राष्ट्रपति बनने पर युद्ध “24 घंटे में रोकने” का वादा दोहराया।
आगे क्या?
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रूस: तत्काल युद्धविराम से इंकार, लेकिन “खुले संवाद” का दावा।
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यूक्रेन: पश्चिमी सहयोगियों से और कठोर कदम की मांग।
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अमेरिका: ट्रंप ने चेताया—“प्रगति न हुई तो हम मध्यस्थता से हाथ खींच लेंगे।”
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विश्लेषक-मत: लगातार नाकाम होती पहलों से ट्रंप की विश्वसनीयता पर सवाल, जबकि पुतिन ने बार-बार वार्ता का एजेंडा अपनी शर्तों पर मोड़ दिया है।
वर्तमान परिदृश्य में किसी त्वरित शांति-समझौते की संभावना क्षीण दिख रही है; यूरोपीय प्रतिबंधों के नए दौर और निरंतर सैन्य कार्रवाई ने संकट को और जटिल बना दिया है।