महिला पहलवानों के आरोपों पर बृजभूषण शरण सिंह को सुप्रीम कोर्ट से राहत
नई दिल्ली, 27 मई (भाषा) — भारत के पहलवान महासंघ (WFI) के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने महिला पहलवानों के विरोध का सामना करने के बाद पॉक्सो (राजकीय संरक्षण अधिनियम) के तहत दर्ज किए गए आरोपों में राहत पा ली है। मामले की प्रमुख घटनाएँ इस प्रकार हैं:
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नए चयन नियम का विवाद
जनवरी 2025 में बृजभूषण शरण सिंह ने घोषणा की कि अब “इंटरनेशनल” प्रतिनिधियों का चयन स्थानीय और राष्ट्रीय खिताब विजेताओं के बीच प्रतिस्पर्धा के बाद ही किया जाएगा। महिला पहलवानों ने अपने अधिकांश दावों के बावजूद इस नए नियम का तीव्र विरोध किया और आवेदन के बाद घेराव, प्रदर्शन तथा विपक्षी राजनीतिक समर्थन जुटाया। -
सेक्सुअल हैरेसमेंट और जंतर-मंतर प्रदर्शन
विरोध तेज होने पर छह महिला पहलवानों ने शरण सिंह पर सेक्शुअल हैरेसमेंट के आरोप लगाए। स्थानीय स्तर पर जांच कमेटी गठित हुई, मगर कोई ठोस सबूत नहीं मिला। महिला पहलवानों ने जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन कर राजनीतिक पक्षपाते मुद्दे उठाए। -
पुलिस एफआईआर और सुप्रीम कोर्ट का आदेश
प्रारंभिक पुलिस जांच में कोई साक्ष्य न मिलने पर एफआईआर दर्ज करने में आनाकानी हुई। विरोध बढ़ने पर मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया, जिसने तात्कालिक जांच का आदेश दिया। कोर्ट-निर्देश के बाद पुलिस ने पॉक्सो के तहत केस दर्ज किया, जो बाद में क्लोजर रिपोर्ट में सबूतों के अभाव में बंद कर दिया गया। -
माइनर ने किया झूठा केस स्वीकार
जांच में उक्त माइनर लड़की ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान स्वीकार किया कि आरोप मनगढ़ंत थे। उसकी मैजिक बयानबाजी और पुष्ट साक्ष्यों के अभाव में अदालत ने शरण सिंह का मामला तुरंत बंद कर दिया। -
आगे की कार्रवाई
पॉक्सो केस क्लोज होने के बावजूद छह पहलवानों द्वारा दर्ज अन्य मामलों की सुनवाई जारी है, जिनमें चार्जशीटिंग और ट्रायल अभी शेष हैं।
पहलवानों के विरोध और राजनीतिक दांव-पेच के बीच यह मामला यह दिखाता है कि खेल प्रशासन में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना कितना चुनौतीपूर्ण हो गया है।
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