क्रिप्टो फ्रॉड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सवाल, सरकार से पूछा ‘कहीं Crypto Regulation क्यों नहीं?’

 

नई दिल्ली, 31 मई 2025:
सुप्रीम कोर्ट की नई बेंच ने आज एक बड़े Crypto Fraud मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार से कड़ी प्रतिक्रिया ली. मामला उस आरोपी का है, जिस पर आरोप है कि उसने Cryptocurrency के माध्यम से देशभर में किडनैपिंग और फिरौती के पैसों का लेन-देन किया और अनेक फ्रॉड में लिप्त रहा. आरोपी की गिरफ्तारी के बाद जब वह Supreme Court में पेश हुआ, तो उसके पक्ष में कई बड़े वकील खड़े थे, लेकिन अदालत ने तुरंत सरकार से पूछा कि भारत में Crypto Regulation क्यों नहीं है.

सुनवाई के दौरान ऑनरएबल चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “Crypto Currency पर कोई स्पष्ट Law क्यों नहीं है? Transaction के लिए कोई Regulation क्यों नहीं बनाया गया?” सरकार ने जवाब दिया कि यह मामला Crypto के Regulation का नहीं, बल्कि एक अपराधी के Fraud का है. आरोपी ने Crypto को आधारित एक माध्यम के रूप में प्रयोग करके अपराध किए, जबकि Crypto खुद केवल एक माध्यम है.

अदालत ने सरकार से पूछा कि भारत में Crypto Currency पर लागू कोई भी Law मौजूद नहीं है या क्यों नहीं बनाया गया. सरकार ने सुनवाई के दौरान बताया कि 2020 में RBI ने एक Regulation पास कर, Crypto को Digital Foreign Currency घोषित किया था. RBI के उस Regulation के तहत भारतीय मुद्रा के अलावा किसी भी Digital या Foreign Currency को India में मान्यता नहीं दी जाती थी. इसमें बताया गया था कि Crypto Currency को भारत में चलने योग्य नहीं माना जाएगा, न ही उसका लेन-देन या मुद्रा परिवर्तित (Convertible) किया जाएगा. यह Regulation लागू करते समय RBI ने स्पष्ट किया था कि “भारतीय रुपये के अलावा कोई भी होने वाली Currency यहां मान्य नहीं होगी.”

हालांकि All India Internet and Mobile Association vs. RBI के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उस Regulation को स्थगित (Stay) करते हुए अवैध घोषित कर दिया था. कोर्ट ने कहा कि उस समय RBI के पास Crypto को पूरी तरह प्रतिबंधित (Ban) करने के लिए कोई तर्कसंगत Data नहीं था, और बिना उचित Rationale के Crypto को प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता. इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने General Singh Judgment (Article 164A और 164B) का हवाला दिया था, जिसमें बिना डेटा के आरक्षण (Reservation in Promotion) लागू नहीं किया जा सकता, का उदाहरण दिया गया था.

पिछले वर्षों में जब RBI ने Crypto पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास किया था, तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह सरकार का क्षेत्राधिकार (Domain) है और Crypto पर Regulation केवल सरकार ही बना सकती है. सितंबर 2023 में जब वर्तमान Advocate General वेणकट रमणी ने कोर्ट को बताया कि Crypto एक जटिल विषय है और सरकार तथा न्यायपालिका को जल्दबाज़ी में निर्णय नहीं लेना चाहिए, तो सुप्रीम कोर्ट ने भी फिलहाल Crypto पर नियम बनाने से इंकार किया था. उस समय Hon’ble Justice DY Chandrachud ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स में भी Crypto से जुड़े गहरे विषयों पर सरकार को गहराई से सोचना चाहिए.

इस विवाद के बाद केंद्र सरकार ने 2022 के बजट में Crypto निवेश पर 30% Income Tax लागू करने की घोषणा की. साथ ही Crypto निवेशकों के लिए KYC (Know Your Customer) अनिवार्य कर दिया गया, ताकि Crypto लेनदेन का डाटा सरकार के पास पहुंचे और अवैध लेनदेन को रोका जा सके. आज अदालत ने कहा कि फिर भी Crypto पर कोई ठोस कानून नहीं है और जब भी बड़े Agencies जैसे NIA या ED किसी Crypto लिंक्ड अपराध की जांच कर रहे हों, तब भी Crypto लेनदेन के ठोस नियम (Rules) नहीं होने से जांच में बाधा आती है. अदालत ने सरकार से पूछा कि “जब Crypto को एक माध्यम के रूप में अवैध गतिविधियों में इस्तेमाल किया जा रहा है, तो हमें Crypto पर Regulation क्यों नहीं बनानी चाहिए?”

अदालत ने अवैध धन के मामलों में ED (Enforcement Directorate) और NIA (National Investigation Agency) द्वारा उठाए गए कदमों का भी हवाला दिया. Bench ने कहा कि अक्सर 500 करोड़, 700 करोड़ या 100 करोड़ रुपये के Crypto Fraud की खबरें आती रहती हैं, लेकिन बिना स्पष्ट Law के अपराधी आसानी से बच निकलते हैं.

Chief Justice ने यह भी पूछा कि जब RBI ने एक Regulation पास किया था और सुप्रीम कोर्ट ने उसे अवैध घोषित किया था, तो केंद्र सरकार ने किस आधार पर 2022 में Crypto निवेश पर टैक्स और KYC लागू कर दिए? सरकार ने बताया कि टैक्स लगाने से Crypto लेनदेन पर नियंक् (Compliance) बढ़ी तो एलएलडी लेनदेन (Illegal Transactions) में कुछ कमी आई. लेकिन अदालत ने कहा कि “जब Crypto को केवल टैक्स के दायरे में लाया गया, लेकिन कोई व्यापक Crypto Regulation नहीं बनाया गया, तो अपराधी आसानी से कानून की खामियों का फायदा उठा लेते हैं.”

सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश भी दिया कि केंद्र सरकार Crypto पर एक व्यापक कानून बनाए, जिसमें Transaction, Registration, और ट्रैकिंग की स्पष्ट व्यवस्था हो. अदालत ने कहा, “Crypto अगर अवैध गतिविधियों का स्रोत बन रहा है, तो इसे India में या तो पूरी तरह से Ban करना चाहिए या भारतीय मुद्रा के तहत नियंत्रित (Regulate) किया जाना चाहिए. Crypto को India से बाहर पैसा भेजने के लिए उपयोग माना जाए और ऐसे हर लेनदेन पर विदेश विनिमय (Foreign Exchange) कानूनों की तरह छानबीन (Scrutiny) होनी चाहिए.”

अदालत ने आरोपी की ज़मानत याचिका पर भी टिप्पणी की और कहा कि “आपने इतनी बड़ी धनराशि के अपराध को अंजाम दिया, लेकिन आपने चार्जशीट (Charge Sheet) नहीं दाखिल होने का मुद्दा उठाया है। अदालत को शक है कि आरोप सही हैं या नहीं, और सुनवाई में भूमिका निभाने वाले Senior Advocates भी Crypto कंपनियों से हटकर तैयारी कर रहे होंगे.” अदालत ने आरोपी को कहा कि वह जुलाई में वापस सुनवाई के लिए उपस्थित हो और तब तक सरकार Crypto पर कानून बनाकर प्रस्तुत करे.

नागरिकों और Crypto निवेशकों के लिए यह सुनवाई अहम मानी जा रही है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि बिना Crypto Regulation के अवैध गतिविधियों पर अंकुश नहीं लग सकता. अब केंद्र सरकार पर जिम्मेदारी बढ़ गई है कि वह जल्द से जल्द Crypto लेनदेन को लेकर एक व्यापक कानून बनाए, ताकि India में डिजिटल मुद्रा का सुरक्षित और नियंत्रित उपयोग सुनिश्चित किया जा सके.

— अभिषेक शर्मा, कानूनी संवाददाता

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