बिहार में भू-अधिकार विवाद समाप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम: 117 वर्ष पुराने रजिस्ट्रेशन अधिनियम की जगह नए डिजिटल विधेयक का मसौदा तैयार

 

पटना, 31 मई 2025: बिहार में पीढ़ियों से जमीनी विवादों ने अनेकों परिवारों का विकास बाधित किया है। इसी समस्या के समाधान के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने एक व्यापक विधेयक का मसौदा तैयार किया है, जो 1908 में लागू हुए 117 साल पुराने लैंड रजिस्ट्री अधिनियम को समाप्त कर देगा। यह प्रस्तावित कानून पूरे देश में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य करेगा और दस्तावेजों के डिजिटल संरक्षण को सुनिश्चित करेगा।

जमीनी विवादों का पीड़ित परिवारों पर प्रभाव
बिहार में अक्सर देखने को मिलता है कि किसी भूमि के अनेक दावेकर्ता एक साथ जमीन बेचकर धोखाधड़ी करते हैं। कई बार एक ही प्लॉट चार-छह लोगों को अलग-अलग तरीकों से बेच दिया जाता है, जिससे खरीदार पूरी पूंजी गंवा देते हैं और उनका जीवन प्रभावित हो जाता है। विवाद सुलझाने के लिए कोर्ट-कचहरी में समय व धन दोनों व्यर्थ होते हैं। इस वजह से लोग शिक्षा, व्यवसाय या विकास पर निवेश नहीं कर पाते।

प्रस्तावित नए कानून की मुख्य विशेषताएं

  1. ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन: अब संपत्ति खरीद-बिक्री का पूरा दस्तावेजीकरण इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म पर होगा। इससे दो मिनट में ही वास्तविक मालिकाना हक का सत्यापन संभव होगा।

  2. डिजिटल रिकॉर्ड का संरक्षण: रजिस्ट्री प्रमाणपत्र एवं सभी जुड़े दस्तावेजों को इलेक्ट्रॉनिक रूप में सुरक्षित रखा जाएगा। इससे कागजी झमेलों व दुर्भावनापूर्ण फ्रॉड की संभावनाएँ न्यूनतम रहेंगी।

  3. आधार आधारित वैरिफिकेशन विकल्प: जो लोग आधार नंबर साझा करने में असमर्थ हों, उनके लिए वैकल्पिक सत्यापन पद्धति लागू की जाएगी। यह व्यवस्था धोखाधड़ी रोकने में कारगर साबित होगी।

  4. महत्वपूर्ण दस्तावेजों का पंजीकरण: एग्रीमेंट-टू-सेल, पावर ऑफ अटॉर्नी, सेल सर्टिफिकेट तथा इक्विटेबल मार्केटरेट जैसे आवश्यक दस्तावेजों का रजिस्ट्रीकरण अनिवार्य होगा।

सरकार ने आम जनता से मांगी राय
भूमि संसाधन विभाग ने मसौदे को जनता की राय के लिए जारी किया है। आम लोग इस पर सुझाव दे सकते हैं, ताकि अंतिम विधेयक में आवश्यक संशोधन करके अगली संसद सत्र में पेश किया जा सके। विभाग के अनुसार, “बदलती सामाजिक व आर्थिक परिस्थितियों, आधुनिक तकनीक और पंजीकृत दस्तावेजों पर बढ़ती निर्भरता को देखते हुए डिजिटल रजिस्ट्री सिस्टम की सख्त आवश्यकता है।’’

आगे की कार्यवाही
एक बार विधेयक को मंजूरी मिल जाने पर बिहार सहित पूरे देश में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन लागू हो जाएगा। इससे न केवल जमीनी विवाद कम होंगे, बल्कि पारदर्शिता बढ़ने से राजस्व संग्रह में भी सुधार संभव होगा। नई व्यवस्था से बिहार के हजारों परिवार समय, धन व मानसिक तनाव से मुक्त हो सकेंगे और भूमि संबंधी निवेश के बजाय शिक्षा, स्वास्थ्य एवं स्वरोजगार पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे।

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