क्या सिर्फ Aadhaar Card के आधार पर की जा सकती है करोड़ों की ठगी? जयपुर में पकड़ा गया 12वीं पास साइबर चोर
जयपुर: जब देश के biometric system में eyes, fingerprints और Aadhaar card की डिटेल मौजूद हो, तब भी कोई व्यक्ति fake identity बनाकर करोड़ों की ठगी कर सकता है। राजस्थान के 25 वर्षीय इमरान अली ने यही कर दिखाया। शुरुआत में उसने एक 12वीं पास लड़के को ढोंग बनाकर खुद को “Vikas Saini” नामक fake identity बताया और केवल biometric को हैक करके 10 बैंकों में bank accounts खोले। बाद में उसने एक fake app बनाई, जिसे WhatsApp और Telegram groups में प्रचारित कर आम लोगों से करीब ₹2 करोड़ से अधिक की रकम हड़प ली।
फर्जी आधार से शुरू हुआ जाल
इमरान अली ने डेढ़ साल पहले “Vikas Saini” नामक फर्जी पहचान बनाई। Aadhaar कराते समय उसने पैरों के उंगलियों के fingerprints भरे और आंखों की pupil को उल्टा स्कैन कर biometric वैरिफिकेशन में सेंध लगा दी। इसके बाद उसी फर्जी आधार से PAN card बनाया और फिर महज कागज़ पर “जिंदा” दिखने वाली पहचान से 10 बैंकों में Corporate bank accounts खोल डाले।
“DI trडी” नाम की फर्जी शेयर ट्रेडिंग APP
इमरान ने साइबर चोरियों के लिए “DI trडी” नामक app विकसित की, जो दिखने में एक असली share trading app जैसी लगती थी। इसके प्रोमोशन के लिए उन्होंने WhatsApp app और Telegram groups का सहारा लिया। निवेशकों को 6 महीनों में 10% profit का लालच देकर आकर्षित किया गया। शुरू में छोटे-छोटे profits का ट्रांसफर करके भरोसा बनाया गया, लेकिन बाद में जब बड़ी रकम अपलोड की गई, तो app पर पैसे दिखते रहे, पर असल में बैंक account में कुछ जमा नहीं हुआ।
कैसे फंसे निवेशक
1 मार्च 2025 को भिवाड़ी की UIT Colony में रहने वाले संजीव को एक WhatsApp message आया: “Arjun Ramesh Mehta को वोट दो और 10% मुनाफा कमाओ।” नाम पढ़ते ही संजीव ने Google पर खोज की और लगा कि कोई बड़ा businessman होगा। फिर वह एक WhatsApp group में शामिल हो गया, जहां हर कोई profit screenshots साझा कर रहा था। विश्वास बढ़ने पर संजीव ने app डाउनलोड की और शुरुआती ₹25,000 का निवेश किया। पहले कुछ दिन में ₹25,000 का profit उसके खाते में ट्रांसफर हुआ, जिससे उसकी विश्वसनीयता पुख्ता हुई। फिर संजीव ने ₹21 लाख का निवेश किया, लेकिन जब पैसा निकालने की बारी आई, तो No Response और No Refund मिला।
संजीव ने पुलिस को पूरी घटना बताई, और पुलिस ने जांच शुरू की। लेकिन हैरानी तब हुई जब पुलिस को “Vikas Saini” नामक व्यक्ति नहीं मिला। फिर location trace करने पर जयपुर की PCS Scheme में रेड मारी गई, जहाँ एक फ्लैट में दो लोग पकड़े गए—mastermind, 12वीं पास इमरान अली, और दूसरा tech expert, BCA पास इमरान खान। इनके कब्जे से ₹9 लाख cash, 20 मोबाइल, 54 SIM cards, और 10 ATM-note counting machines बरामद हुए।
फर्जी APP, फर्जी सपने, असली नुकसान
इमरान अली ने फर्जी Aadhaar, फर्जी PAN card, और फर्जी bank accounts से System को चौंका दिया। इसके बाद “DI trडी” trading app ने निवेशकों को करोड़ों में लूट लिया।
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Fake identity के सहारे 10 बैंकों में accounts खोलकर पैसा हड़पना
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पैरों के fingerprints और उल्टी eye scan तकनीक से biometric को चकमा देना
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WhatsApp और Telegram के माध्यम से निवेशकों को जोड़कर online fraud करना
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₹2 करोड़ से अधिक का चूना लगाकर पीछे से भाग जाना
यह केवल एक ठगी नहीं थी, बल्कि digital immunity को चुनौती देने वाला ऑपरेशन था, जिसमें System की आंखों में धूल झोंकी गई।
हमें क्या सीखने को मिलता है?
डिजिटल इंडिया के इस दौर में हमें खुद को डिजिटली स्मार्ट बनना होगा।
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किसी भी link पर बिना सोचे क्लिक न करें।
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Lalch इंसान को ले डूबता है, इसलिए सुनिश्चित करें कि आप केवल भरोसेमंद app और प्लेटफॉर्म का ही उपयोग करें।
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यदि आप भी ऐसी किसी fraud के शिकार हुए हैं, तो तुरंत police और Cyber Cell को रिपोर्ट करें।
डिजिटल दुनिया में जागरूकता ही हमारी सबसे बड़ी सुरक्षा है।
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