इज़राइल ने ईरान की फोर्दो न्यूक्लियर साइट पर किया बड़ा हमला, झटकों से हिला इलाका; युद्ध की आशंका गहराई
ईरान के सबसे संवेदनशील न्यूक्लियर ठिकानों में से एक फोर्दो न्यूक्लियर साइट पर इज़राइल ने कथित रूप से बड़ा हमला किया है। इस हमले के बाद इलाके में तेज धमाकों की आवाजें सुनी गईं और भूकंप जैसे झटके महसूस किए गए, जिनकी तीव्रता 2.5 मैग्नीट्यूड रिकॉर्ड की गई। ईरान के सिस्मोलॉजिस्ट्स का मानना है कि यह प्राकृतिक भूकंप नहीं, बल्कि मानव निर्मित विस्फोटों के कारण हुआ है।
क्या है फोर्दो साइट और क्यों है अहम?
ईरान की राजधानी तेहरान से लगभग 100 किमी दूर माउंटेन रेंज के नीचे बनी फोर्दो फैसिलिटी यूरेनियम के उच्च स्तरीय संवर्धन (Enrichment) के लिए जानी जाती है। रिपोर्ट्स के अनुसार, ईरान यहां 60% से अधिक यूरेनियम संवर्धित कर चुका है—जो न्यूक्लियर हथियार बनाने की क्षमता के बेहद करीब है (90%)।
इस ठिकाने को इतना गहराई में, यानी करीब 90 मीटर भूमिगत, इसलिए बनाया गया है ताकि कोई भी हवाई हमला इसकी कोर फैसिलिटी तक न पहुंच सके। यहां तक कि रूसी S-300 मिसाइल डिफेंस सिस्टम भी इसकी सुरक्षा के लिए तैनात है।
हमला कैसे हुआ?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इज़राइल ने डीप पेनिट्रेटिंग बंकर बस्टर बम का इस्तेमाल किया, जिससे ज़मीन के नीचे जोरदार विस्फोट हुआ। हालांकि फोर्दो की कोर फैसिलिटी को कोई बड़ा नुकसान नहीं पहुंचा है, लेकिन सतही इन्फ्रास्ट्रक्चर और सप्लाई यूनिट्स को क्षति पहुंची है। रेडियोएक्टिव लीक की फिलहाल कोई पुष्टि नहीं हुई है।
इज़राइल का उद्देश्य क्या है?
इज़राइल को आशंका है कि ईरान का न्यूक्लियर प्रोग्राम उसके अस्तित्व के लिए खतरा बन सकता है। यही कारण है कि वह बार-बार इन साइट्स को निशाना बनाकर ईरान की प्रगति को धीमा करना चाहता है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पहले ही संकेत दे चुके हैं कि जब तक ईरान का हथियार कार्यक्रम पूरी तरह से नष्ट नहीं होता, इज़राइल कार्रवाई जारी रखेगा।
आगे क्या?
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या अमेरिका अपनी तकनीकी सहायता जैसे GBU-57 बम और B2 स्टेल्थ बॉम्बर्स इज़राइल को देगा, ताकि इज़राइल फोर्दो जैसी गहराई में बनी फैसिलिटी को पूरी तरह ध्वस्त कर सके। अभी के लिए अमेरिका ने हस्तक्षेप से इनकार किया है।
ईरान की प्रतिक्रिया
इससे पहले ईरान ने इज़राइल पर व्यापक स्तर पर ड्रोन और मिसाइल हमले किए थे, जिससे हाइफा समेत कई इजराइली क्षेत्रों में बड़ा नुकसान हुआ। अब आशंका है कि यदि फोर्दो पर दोबारा बड़े स्तर पर हमला होता है, तो यह पूरे वेस्ट एशिया क्षेत्र में युद्ध की चिंगारी को भड़का सकता है और कच्चे तेल की कीमतों में भारी उछाल आ सकता है।