GPA, सेल एग्रीमेंट और एफिडेविट से नहीं होता प्रॉपर्टी ट्रांसफर वैध, रजिस्टर्ड डीड अनिवार्य – सुप्रीम कोर्ट
हम सब जानते हैं कि आज के दौर में, खासतौर पर 1836-37 के बाद से, हमारा समाज एक तरह की असुरक्षा से ग्रस्त हो गया है। हमने ईश्वर पर विश्वास करना छोड़कर, सब कुछ डॉक्यूमेंटेशन पर आधारित कर दिया है — चाहे वो जमीन हो या संबंध। संपत्ति आपकी है या नहीं, इसका निर्धारण अब केवल सरकारी कागजात करते हैं।
🏡 क्या केवल कब्जा और कागज़ों से मालिकाना हक मिल जाता है?
नहीं। यही मूल सवाल है, और सुप्रीम कोर्ट ने इसका उत्तर विस्तार से दिया है।
हाल ही में, जस्टिस जीबी पाडीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की खंडपीठ ने कहा कि—
“सेल एग्रीमेंट, जीपीए, एफिडेविट और म्यूटेशन—even अगर रजिस्टर्ड हों—प्रॉपर्टी के ओनरशिप ट्रांसफर के लिए पर्याप्त नहीं हैं।”
⚖️ सुप्रीम कोर्ट ने किन नियमों का हवाला दिया?
-
ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट 1882 — खासतौर पर धारा 5, 54 और 55।
-
सूरज लैंप एंड इंडस्ट्रीज बनाम स्टेट ऑफ हरियाणा (2012) — AIR 2012 SC 656
-
कॉस्मोस को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड बनाम सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (2025)
-
एमएस अनंथमूर्ति बनाम जे. मंजुला (2025)
इन सभी मामलों में एक ही बात दोहराई गई —
➡️ केवल सेल एग्रीमेंट या जीपीए से ट्रांसफर नहीं माना जाएगा।
➡️ प्रॉपर्टी ट्रांसफर तभी मान्य होगा जब रजिस्टर्ड सेल डीड के माध्यम से हो।
📄 दिल्ली और अन्य महानगरों की प्रचलित प्रैक्टिस क्या है?
दिल्ली, मुंबई, कोलकाता जैसे महानगरों में प्रॉपर्टी का ट्रांसफर प्रायः निम्न डॉक्यूमेंट्स से होता है:
-
सेल एग्रीमेंट
-
जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी (GPA)
-
एफिडेविट
-
पजेशन लेटर
-
म्यूटेशन
लोग यह मान लेते हैं कि ये कागजात पर्याप्त हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा — यह “कन्वेयंस” नहीं है, बल्कि एक “अनुबंध या अंडरटेकिंग” है, जिसे स्पेसिफिक परफॉर्मेंस केस के जरिए ही कोर्ट वैधता दे सकती है।
🛑 बिना रजिस्टर्ड डीड के ट्रांसफर वैध क्यों नहीं?
क्योंकि ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट के अनुसार:
-
₹100 से अधिक मूल्य की अचल संपत्ति (immovable property) को केवल रजिस्टर्ड डीड के माध्यम से ही ट्रांसफर किया जा सकता है।
-
जीपीए और सेल एग्रीमेंट केवल प्रतिबद्धता दर्शाते हैं, मालिकाना हक नहीं देते।
🧾 फिर समाधान क्या है?
-
अगर आपके पास GPA, एग्रीमेंट, पजेशन आदि है, तो आपको कोर्ट में स्पेसिफिक परफॉर्मेंस का केस दाखिल करना होगा।
-
कोर्ट जब उस अनुबंध को मान्यता देगा, तभी आपका ट्रांसफर वैध माना जाएगा।
📌 निष्कर्ष
-
जो लोग केवल जीपीए या सेल एग्रीमेंट के आधार पर प्रॉपर्टी ले रहे हैं — वे कानूनी मालिक नहीं माने जाएंगे।
-
म्यूटेशन और अन्य दस्तावेज केवल रिकॉर्ड के लिए होते हैं, मालिकाना हक का निर्धारण केवल रजिस्टर्ड ट्रांसफर डीड से होता है।