POK पर भारत की धीमी और रणनीतिक कार्रवाई का राज़
नमस्कार दोस्तों!
बहुत से लोग Khabartak से पूछते हैं कि आखिर हम POK पर कब्जा क्यों नहीं कर लेते? उनके हिसाब से पाकिस्तान इस समय कमजोर स्थिति में है, उनके पास ईंधन की कमी है, उनके लड़ाकू विमान और टैंक भी अच्छी स्थिति में नहीं हैं। हाल ही में हमने पाकिस्तान के कुछ लड़ाकू विमान भी गिरा दिए। तो फिर फटाफट आर्मी भेजकर POK पर कब्जा क्यों नहीं कर लेते?
आसान नहीं है युद्ध का मैदान:
यह सवाल हमारे मन में तब आता है जब हम अपने घर में सुरक्षित बैठकर टीवी पर खबरें देखते हैं। जैसे हम क्रिकेट मैच देखते वक्त कमेंट करते हैं कि सचिन तेंदुलकर को ऐसा शॉट नहीं खेलना चाहिए था या विराट कोहली को इस समय आना चाहिए था। परंतु हम भूल जाते हैं कि मैदान पर जो खिलाड़ी खड़ा है, उसे एक सेकंड के भी अंदर निर्णय लेना पड़ता है। हमारे लिए टीवी के सामने बैठकर टिपण्णी करना आसान है, लेकिन जो खिलाड़ी मैदान पर है, उसके सामने बॉल स्प्लिट सेकंड में आ जाती है।
रणनीति का महत्व:
युद्ध भी कुछ ऐसा ही होता है। ताकत होना एक बात है, लेकिन उस ताकत का सही तरीके से उपयोग करना दूसरी बात। इसे ही रणनीति कहा जाता है। 1971 के बांग्लादेश युद्ध का उदाहरण लिया जाए, तो वह युद्ध भी अचानक घोषित नहीं हुआ था। पहले भारत ने मुक्ति वाहिनी का समर्थन किया, धीरे-धीरे पाकिस्तान की सेना को कमजोर किया और फिर खुलकर युद्ध में शामिल हुआ।
भारत की मौजूदा रणनीति:
आज भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। भारत ने युद्ध की आधिकारिक घोषणा नहीं की है, लेकिन सीमाओं पर जवाबी कार्रवाई जरूर कर रहा है। भारत ने टेररिस्ट कैंप्स और उनके समर्थन करने वाले मिलिट्री इंस्टॉलेशन पर सटीक हमले किए हैं। पाकिस्तान के लड़ाकू विमान जब भारतीय सीमा की तरफ बढ़े, तो उन्हें मार गिराया गया।
दोतरफा दबाव की योजना:
भारत की रणनीति सिर्फ सैन्य हमले तक सीमित नहीं है। बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनवा में भी पाकिस्तानी सेना के खिलाफ स्थानीय विद्रोही सक्रिय हो गए हैं। भारतीय सेना के हमलों की वजह से पाकिस्तान को अपनी सेना को इन क्षेत्रों से हटाकर भारतीय सीमा पर तैनात करना पड़ा है, जिससे इन विद्रोहियों को मजबूती मिल रही है।
कछुए की चाल और रणनीति का सबक:
यह धीमी गति से चलने की रणनीति बिल्कुल वैसे ही है जैसे क्रिकेट में सुनील गावस्कर का खेल। गावस्कर का काम फास्ट बॉलर्स की गेंदों की चमक को खत्म करना होता था, ताकि बाद में अन्य बल्लेबाज आसानी से रन बना सकें। इसी तरह, भारतीय सेना धीरे-धीरे पाकिस्तान की ताकत को कमजोर कर रही है, ताकि जब असली युद्ध की बारी आए, तो पाकिस्तान के पास न संसाधन बचें और न हिम्मत।
अंतिम निष्कर्ष:
भारत की इस धीमी रणनीति का मकसद सिर्फ पीओके पर कब्जा करना नहीं है, बल्कि पाकिस्तान को अंदर से इतना कमजोर कर देना है कि जब असली जंग शुरू हो, तो वह लड़ने की स्थिति में न रहे। यही एक मजबूत रणनीति की पहचान है।