उत्तराखंड: सुरंग में अभी भी फंसे हैं झारखंड के 15 समेत कुल 40 मजदूर, सीएम हेमंत सोरेन ने भेजे तीन अफसर

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Ranchi: उत्तराखंड में उत्तरकाशी-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलक्यारा से डंडालगाँव तक बन रही सुरंग में (सिलक्यारा की तरफ़ से) रविवार सुबह क़रीब 5 बजे भूस्खलन हुआ था. इस हादसे के 40 घंटे से भी अधिक समय बीतने के बाद भी सुरंग के अंदर झारखंड के 15 समेत कुल चालीस मजदूर फंसे हुए हैं. मौके पर बचाव एवं राहत अभियान चलाने के लिए एसडीआरएफ, एनडीआरफ, और आईटीबीपी समेत दमकल विभाग की तमाम टीमें मौजूद हैं.

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केंद्र सरकार की ओर से इस सुरंग की ज़िम्मेदारी ‘एनएचआईडीसीएल’ नामक कंपनी को दी गई थी. वहीं, इसके निर्माण कार्य की ज़िम्मेदारी नवयुग नामक कंपनी के पास थी.

एनएचआईडीसीएल के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर कर्नल (रिटा.) संदीप सुधेरा ने बताया कि, “सुरंग के अंदर से 21 मीटर तक मलबा बाहर निकाला जा चुका है. 19 मीटर तक मलबा और बचा है.” उन्होंने बताया कि “सिलक्यारा पोटल ( पोटल यानी सुरंग का मुखद्वार) से क़रीब 205 मीटर अंदर की तरफ़ से करीब 245 मीटर तक भूस्खलन हुआ है. “245 मीटर से आगे सुरंग सुरक्षित और ख़ाली है, जिसमें सभी फँसे हुए लोग सुरक्षित हैं.”

झारखण्ड के श्रमिकों की मदद हेतु टीम उत्तराखंड रवाना

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के निर्देश के बाद उत्तराखंड के उतरकाशी में ब्रह्मकमल और यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर सिल्क्यारा और डंडलगांव के बीच निर्माणधीन टनल में हुए दुर्घटना के फलस्वरुप झारखण्ड के श्रमिकों को सहायता प्रदान करने के लिए तीन सदस्यीय टीम उत्तराखंड रवाना हो गई है. टीम में जैप आईटी के सीईओ श्री भुनेश प्रताप सिंह, ज्वाइंट लेबर कमिश्नर श्री राजेश प्रसाद एवं ज्वाइंट लेबर कमिश्नर श्री प्रदीप रॉबर्ट लकडा शामिल हैं.

फंसे मजदूरों की जारी सूची

इन श्रमिकों को आवश्यक सहायता प्रदान करने हेतु और घटना स्थल पर भ्रमण करने एवं समय-समय पर अद्यतन स्थिति से दूरभाष पर अवगत कराने का निर्देश टीम को दिया गया है. बता दें कि हादसे की जानकारी के बाद मुख्यमंत्री के निर्देश पर झारखण्ड के श्रमिकों के मदद के लिए तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को उत्तराखण्ड भेजा गया है. मुख्यमंत्री ने टनल में फंसे हुए सभी श्रमिकों के शीघ्र कुशलता की कामना की है.

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