Madhya Pradesh: बहुचर्चित नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़ा प्रकरण में हाई कोर्ट ने पूर्व न्यायाधीश के नेतृत्व में एक तीन सदस्य कमेटी का गठन कर दिया है. इसके अंतर्गत हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली कमेटी उन नर्सिंग कॉलेजों की जांच करेगी, जिनमें नियमानुसार मान्यता के लिए कमियां पाई गई हैं. मामले की अगली सुनवाई 22 फरवरी को निर्धारित की गई है.
हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी व न्यायमूर्ति एके पालीवाल की विशेष युगलपीठ ने जो कमेटी गठित की है. उसमें हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस आरके श्रीवास्तव चेयरमैन होंगे. इसके अलावा आईएएस राधेश्याम जुलानिया और इंदिरा गांधी नेशनल ट्राइबल विश्वविद्यालय अमरकंटक के कुलपति सदस्य होंगे.
कमेटी गठित करने के साथ ही हाईकोर्ट ने सख्त दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं. हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि अपात्र पाए गए नर्सिंग कॉलेजों को छोड़ा नहीं जाना चाहिए. तीन से अधिक फैकल्टी डुप्लिकेशन होने पर प्रति फैकल्टी एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाए.
लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अधिवक्ता विशाल बघेल की जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने विस्तृत आदेश पारित किया है. गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में संचालित 600 से अधिक फर्जी नर्सिंग कॉलेज को एक जनहित याचिका लगाकर उजागर किया गया था, जिसकी हाईकोर्ट के निर्देश पर सीबीआई ने जांच की थी. फिलहाल सीबीआई ने 300 कॉलेज की जांच रिपोर्ट कोर्ट में जमा कर दी है, बाकी की अब भी जांच चल रही है.
सीबीआई को भी 3 महीने में बचे हुए कॉलेजों की रिपोर्ट देने के निर्देश कोर्ट ने दिए हैं. हाई कोर्ट ने सीबीआई को बचे हुए नर्सिंग कॉलेजों की जांच का प्रारूप भी समिति को सौंप दिए हैं. इस प्रारूप के अनुसार सीबीआई को आवेदन फॉर्म में मान्यता प्राप्त करते समय दर्शाए गए भवन, पते, संसाधन, जियो टैगिंग एवं भवन किराये का है अथवा स्वयं का, इन सभी तथ्यों को सत्यापित करना होगा और उसके बाद निर्धारित प्रारूप में अपनी जांच रिपोर्ट 3 माह में सौंपनी होगी.
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