Akshay/ Rahul
Ranchi: धनबाद लोकसभा सीट फिलहाल एनडीए के खाते में है. 1952 से इस सीट पर लोकसभा का चुनाव हो रहा है. अबतक कुल 17 बार चुनाव हो चुके हैं. जिसमें बीजेपी ने 1991 से 1999 तक लगातार जीत हासिल की. लेकिन 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार चंद्रशेखर दुबे उर्फ ददई दुबे ने जीत का परचम लहराया. आंकड़ों की बात करें तो इस सीट से सबसे ज्यादा बीजेपी के उम्मीदवारों ने चुनाव जीता हैं. हालांकि इस बार धनबाद लोकसभा सीट पर बीजेपी का कौन उम्मीदवार होगा. इसमें पेंच फंसता दिखायी दे रहा है क्योंकि बीजेपी के मौजूदा सांसद पीएन सिंह अपनी उम्र को लेकर चुनाव से बाहर किए जा सकते हैं. वहीं इंडी गठबंधन 2004 वाली जीत दोहराने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहा है.
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धनबाद लोकसभा सीट
झारखंड की धनबाद लोकसभा सीट 1952 में अस्तित्व में आयी. कांग्रेस के उम्मीदवार ने 1962 तक इस सीट स, जीतते रहे. उसके बाद 1971 में निर्दलीय उम्मीदवार रानी ललीता राज लक्ष्मी ने चुनाव लड़ा और जीतीं. 1977 और 1980 में कम्यूनिस्ट पार्टी ने चुनाव जीता. 1984 में कांग्रेस ने वापसी की. लेकिन 1989 में फिर से यह सीट कम्यूनिस्ट पार्टी की झोली में चली गयी. 1991 से लेकर 1999 तक बीजेपी ने मजबूती से इस सीट को अपने पास रखा. 2004 में कांग्रेस ने फिर वापसी की. लेकिन 2009 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार पशुपतिनाथ सिंह ने पार्टी को खोई जमीन वापस दिलाने के साथ 2014 और 2019 का चुनाव में भी जीता.
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विधानसभाओं में बीजेपी काफी मजबूत
इस लोकसभा सीट के अंतर्गत कुल छह विधानसभाएं आती हैं. इसमें बोकारो में बीजेपी से बिरंची नारायण, चंदनक्यारी में बीजेपी से अमर कुमार बाउरी, सिंदरी में बीजेपी से इंद्रजीत महतो, निरसा विधानसभा में बीजेपी से अपर्ण सेनगुप्ता, धनबाद में बीजेपी से राज सिन्हा और एक मात्र सीट झरिया में कांग्रेस से पूर्णिमा नीरज सिंह विधायक हैं.
झरिया सीट 2000 से 2014 तक बीजेपी के कब्जे में रही. लेकिन तत्कालीन डिप्टी मेयर नीरज सिंह की हत्या के बाद तत्कालीन विधायक संजीव सिंह हत्या के आरोप में जेल में बंद है. इस बीच 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उनकी पत्नी पूर्णिमा नीरज सिंह को उम्मीदवार बनाया तो वहीं बीजेपी ने संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह को चुनाव मैदान में उतारा. लेकिन वो पूर्णिमा नीरज सिंह से चुनाव हार गयी और यह सीट कांग्रेस के खाते में चली गई. इस लोकसभा सीट पर इंडी गठबंधन का सिर्फ एक विधायक है. इसलिए यह सीट एनडीए की मजबूत लोकसभा सीट मानी जाती है.
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हार-जीत का अंतर
2019 के लोकसभा चुनाव में कुल 12,53,365 वोट पड़े. बीजेपी के पशुपतिनाथ सिंह को 8,27,234 वोट मिले और कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद को 3,41,040 वोट मिले थे. वोटों का अंतर 4,86,194 का था. 2014 में कुल 11,43,945 वोट पड़े थे. जिसमें बीजेपी के पशुपतिनाथ सिंह को 5,43,491 वोट और कांग्रेस के उम्मीदवार अजय कुमार दुबे को 2,50,537 वोट मिले थे. पशुपतिनाथ सिंह ने 2,92,954 वोटों के अंतर से जीत हासिल की. इस लोकसभा सीट से पशुपतिनाथ सिंह 2009 से चुनाव जीतते आ रहे हैं.
इस बार के संभावित उम्मीदवार
बीजेपी के पुख्ता सूत्रों का कहना है कि उम्र को लेकर पीएन सिंह को इस बार के चुनाव से दूर रखा जाना तय है. ऐसी परिस्थिति में बीजेपी की तरफ से धनबाद सदर के विधायक राज सिन्हा का नाम सबसे आगे चल रहा है. वहीं पूर्व प्रशिक्षण प्रभारी रहे गणेश मिश्रा भी अपनी लॉबिंग कर रहे हैं. तो बोकारो से बीजेपी विधायक बिरांची नारायण भी चांस ले सकते हैं. इसके अलावा पूर्व मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल भी दौड़ में बताए जा रहे हैं.
वहीं इंडी गठबंधन की बात करें तो यह सीट कांग्रेस के खाते में जाना तय है.ऐसे में कांग्रेस की तरफ से कई दिग्गज इस सीट पर अपनी किस्मत आजमाना चाह रहे हैं. जिसमें मौजूदा सरकार के दो मंत्री बादल पत्रलेख और बन्ना गुप्ता का भी नाम शामिल है. वहीं प्रदीप यादव के कांग्रेस में आने के बाद महगामा की मौजूदा विधायक दीपिका पांडे सिंह भी धनबाद से लोकसभा चुनाव लड़ने का मन बना रही हैं. झरिया विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार, झारखंड युवा आयोग के अध्यक्ष कुमार गौरव, मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर और 2014 में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ चुके अजय दुबे का नाम भी रेस में हैं. ऐसे में लगता है कि कांग्रेस में उम्मीदवारों को चुनाव जीतने से पहले टिकट जीतने के लिए भी काफी जद्दोजदह करनी पड़ेगी.
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