मिशन 2024 में झारखंड में राज्यसभा चुनाव का भी दिखेगा रोमांच, दिलचस्प होगी सियासी चाल

Principal Correspondent

Ranchi: इसी वर्ष कुछ महीनों बाद लोकसभा चुनाव होने हैं. दिल्ली से रांची तक, सभी दल अपनी कामयाबी के लिए सियासी दांव पेंच आजमाने में जुट गये हैं. इसके बीच एक एंगल राज्यसभा चुनाव का भी झारखंड में बन रहा है. चार माह बाद दो सीटें खाली होंगी. कांग्रेस कोटे से धीरज प्रसाद साहू और भाजपा के समीर उरांव मई में रिटायर्ड होंगे. अब इन सीटों पर सत्तारूढ़ दलों (झामुमो-कांग्रेस-राजद, I.N.D.I.A गठबंधन) के बीच कौन सा फॉर्मूला लागू होता है, इस पर अभी से सबकी नजरें हैं.
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भाजपा (भाजपा-आजसू पार्टी, N.D.A) अपनी तरफ से मैदान में किसे लाएगी, इस पर भी सियासी गलियारे में कानाफूसी का दौर शुरू है. इसमें खासकर I.N.D.I.A गठबंधन की चाल को लेकर उत्सुकता बढ़ने लगी है. पिछले दिनों (31 दिसंबर 2023) को गांडेय सीट से इस्तीफा देने वाले झामुमो के विधायक सरफराज अहमद को राज्यसभा में एडजस्ट किए जाने की चर्चाएं खुब जोर-शोर से शुरू हुईं जो अब भी जारी हैं. पर कांग्रेस अपने कोटे की सीट झामुमो को देने के लिए कितनी आसानी से तैयार होगी, यह भी सस्पेंस है.

अबकी आएगी कांग्रेस की बारी?

हाल ही में 500 करोड़ रुपए से ज्यादा की नकदी जब्त होने के मामले से कांग्रेस सांसद (राज्यसभा) धीरज साहू चर्चा में आए थे. अब मई में उनका राज्यसभा से रिटायरमेंट होना तय है. ऐसे में जाहिराना तौर पर कांग्रेस इस सीट पर अपना दावा बनाए रखेगी. गौरतलब है कि वर्ष 2019 में झारखंड में कांग्रेस-राजद के समर्थन से हेमंत सोरेन की सरकार बनी. इसके बाद से राज्यसभा के हुए दो चुनावों में दोनों बार सीट जेएमएम के खाते में गई.

पहली बार मार्च 2020 में झामुमो के संस्थापक और सीएम हेमंत सोरेन के पिता शिबू सोरेन को राज्यसभा भेजा गया. हालांकि ऐसा कहा गया कि वे उसके पहले लोकसभा का चुनाव (2019) हार गए थे. सो, उन्हें एडजस्ट करने को उन्हें राज्यसभा में भेजा गया. जानकारी के मुताबिक इसके बाद 2022 में खुद कांग्रेस की टॉप लीडर सोनिया गांधी ने हेमंत सोरेन से राज्यसभा की एक सीट देने की मांग की थी पर हेमंत ने अपनी ही पार्टी की तरफ से महुआ माजी को राज्यसभा भेज दिया.

चूंकि इस बार कांग्रेस के कोटे की सीट खाली हो रही है. इस पर कांग्रेस का स्वाभाविक दावा है. पर बताया जा रहा है कि हेमंत सोरेन इस बार भी यह सीट कांग्रेस को देने के मुड में नहीं हैं. सियासी गलियारे में चलती चर्चाओं की मानें तो वे अपनी पार्टी के सरफराज अहमद (गांडेय के पूर्व विधायक) को राज्यसभा में भेजने का फैसला तय कर चुके हैं. संभवतः उन्होंने सरफराज से इसके लिए वादा भी किया है कि उनको राज्यसभा जरूर भेजा जायेगा.

चर्चाओं की मानें तो सरफराज अहमद ने सीएम से इस संबंध में संतुष्ट होने को पूछा भी था कि धीरज साहू की सीट तो कांग्रेस ही मांग रही है. इस पर हेमंत ने उन्हें आश्वस्त करते कहा है कि जेएमएम के पास इतनी सीटें हैं कि वह अकेले ही राज्यसभा की एक सीट जीत सकते हैं. अब इन गॉसिपों को सही अगर माना जाए तो मुमकिन है कि मई-जून में सरफराज अहमद को झामुमो पार्टी की वफादारी का इनाम मिले और वे राज्यसभा में नजर आने लगें.

गौरतलब है कि विधानसभा में जेएमएम की 30 सीटें हैं. राज्यसभा की एक सीट जीतने के लिए तय कैंडिडेट को सिर्फ 28 वोटों की जरुरत होगी. पर कांग्रेस इसके लिए कितनी उदारता से तैयार होगी, वह सीन देखने लायक होगा. वह लगातार तीसरी सीट छोड़ेगी कि नहीं, इस पर सबों की निगाह रहेगी. इस प्रकरण में एक बात यह भी कही जा रही है कि चाहे जो हो, राज्यसभा के लिए कांग्रेस पार्टी हेमंत सरकार से दो-दो हाथ करना भी नहीं चाहेगी. झामुमो को यह पता है कि अंततः उसका फैसला ही कांग्रेस मानेगी. इस मसले पर राज्य सरकार को अस्थिर नहीं करेगी.

क्या कहते हैं सरफराज

सरफराज अहमद ने न्यूजविंग से कहा कि उनके मामले में पार्टी जो भी निर्णय लेगी, वे उस फैसले का सम्मान करेंगे. पार्टी अगर राज्यसभा के लिए ही उन्हें कहेगी तो वे उसके लिए भी चुनाव लड़ने को तैयार रहेंगे. पार्टी के केंद्रीय महासचिव विजय सिंह के मुताबिक अभी पार्टी स्तर पर राज्यसभा चुनाव को लेकर कोई चर्चा नहीं है. हालांकि, सरफराज को लेकर कयास शुरू हैं.

कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने इस मसले पर कहा कि पार्टी स्तर पर ही इस पर फैसला होगा. केंद्रीय नेतृत्व जो तय करेगा, वही मान्य होगा. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा के मुताबिक अभी इस मसले पर कोई चर्चा नहीं हुई है. चुनाव से एक-दो माह पहले प्रदेश नेतृत्व की ओर से योग्य कैंडिडेट की अनुशंसा कर पार्टी के टॉप लीडरों को अनुशंसा कर दी जायेगी.

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