Waqf संशोधन कानून पर अंतरिम स्टे की मांग: सुप्रीम कोर्ट में दूसरे दिन जोरदार बहस, केंद्र ने कहा – वक्फ संपत्ति का चरित्र ‘सेक्युलर’

 

सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर अंतरिम स्टे की मांग को लेकर लगातार दूसरे दिन सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश (D.Y. चंद्रचूड) की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्पष्ट किया कि किसी भी “अस्थायी रोक” के लिये याचिकाकर्ताओं को ठोस तर्क देने होंगे; महज़ “अधूरी दलीलें” पर्याप्त नहीं होंगी।

केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि संसद द्वारा पारित किसी भी कानून को स्वाभाविक रूप से वैध माना जाता है। इसलिये वक्फ संशोधन कानून को लागू होने से रोकने से पहले अदालत को अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए। केंद्र ने जोर देकर कहा कि वक्फ संपत्तियों का मूलभूत चरित्र ‘सेक्युलर’ है और इनमें गैर-मुस्लिम सदस्यों की भागीदारी से उनका स्वरूप नहीं बदलता।

वक्फ संस्थाओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने तर्क रखा कि संशोधन “मुसलमानों के अधिकारों का हनन” है और वक्फ संपत्तियों पर समुदाय का परंपरागत स्वामित्व छीना जा रहा है। उन्होंने पाँच-वर्षीय “धार्मिक व्यवहार” की अनिवार्यता जैसी शर्तों पर भी आपत्ति जताई। इस पर केंद्र ने उत्तर दिया कि वक्फ केवल मुस्लिम धर्म से नहीं, बल्कि सार्वजनिक कल्याण से जुड़ी संस्था है; इसलिए धर्म-आधारित शपथ आवश्यक नहीं।

सरकार ने यह भी अनुरोध किया कि बहस को उन्हीं तीन सीमित प्रश्नों तक रखा जाए, जिन्हें पूर्व में जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने निर्धारित किया था। अदालत ने फिलहाल कोई आदेश पारित नहीं किया, पर संकेत दिया कि अंतरिम स्टे पर फैसला तभी संभव है जब याचिकाकर्ता संविधानिक आधार पर “मज़बूत और विशिष्ट” आपत्तियाँ पेश करें।

सुनवाई कल भी जारी रहेगी।

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