कार डीलरशिप की PDI धोखाधड़ी: टायर बदलने से लेकर रिपेंटेड पैनल तक, नई कार लेते समय सतर्क रहें
जब फ़ैक्टरी से डीलर के यार्ड तक गाड़ी पहुँचती है, तो ट्रांसपोर्ट या क्वॉलिटी-चेक में चूक की वजह से उसे मामूली या बड़े नुकसान हो सकते हैं। इन्हें पकड़ने के लिए डीलर “प्री-डिलीवरी इन्सपेक्शन” (PDI) अधिकारी रखते हैं, जो गाड़ी की जाँच कर बताते हैं—दिक्कत बड़ी है तो कार वापस प्लांट जाएगी, छोटी है तो वहीं सुधार ली जाएगी। समस्या तब खड़ी होती है जब ग्राहक खुद PDI कर देता है, लेकिन फाइनल डिलीवरी के वक्त पता चलता है कि एक ही साइड के दोनों दरवाज़े री-पेंट हैं, टायर बदले हुए हैं, या कार बाढ़-ग्रस्त / एक्सीडेंटेड थी।
आम हेर-फेर के तरीके
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टायर अदला-बदली
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XUV700 के एक खरीदार ने PDI में ब्रिजस्टोन Ecopia टायर देखे; डिलीवरी पर MRF Wanderer लगे मिले। शक हुआ तो PDI वीडियो दिखाकर डीलर को रंगे-हाथ पकड़ा।
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बिना बताये क्षतिग्रस्त कार थमाना
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बेंगलुरु में Tata Nexon खरीदार को हेड-लैंप में पानी, बंपर पर खरोंच और टेलगेट मिसअलाइन मिला—डीलर ने रजिस्ट्रेशन तक पहले करा लिया था।
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ओडोमीटर छेड़छाड़
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केरल में मारुति डीलर ने नई, अनरजिस्टर्ड कार का ओडोमीटर खोलकर दूरी शून्य दिखाने की कोशिश की; मोटर वाहन विभाग ने ₹1 लाख का जुर्माना ठोका।
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री-पेंट छुपाना
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ग़ाज़ियाबाद में Hyundai Creta SX बुक करने वाले ग्राहक को डिलीवरी पर पूरा बंपर पेंट किया हुआ मिला।
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स्कोडा स्लाविया केस में उपभोक्ता फ़ोरम ने री-पेंटेड पैनल छुपाने पर कंपनी को पूरी रकम लौटाने व ₹1 लाख हर्जाना देने का आदेश दिया।
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बीमा और एक्सेसरीज़ का दबाव
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कई डीलर मोटर इन्श्योरेंस सर्विस प्रोवाइडर (MISP) बनकर 17.5 % नहीं, 50 % तक कमीशन बटोरते हैं; महँगे या क्लॉज़-भरे पॉलिसी थमा देते हैं।
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हॉट-सेलिंग मॉडल्स में “लंबा वेटिंग” दिखाकर ₹50,000 – ₹1.5 लाख के अतिरिक्त एक्सेसरी पैकेज ख़रीदने को मजबूर करते हैं।
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डीलर थर्ड-पार्टी PDI से घबराते क्यों हैं?
स्वतंत्र निरीक्षक मामूली फ़ीस ले कर पेंट थिकनेस मीटर, OBD स्कैनर, रस्ट-टेस्टर जैसे औज़ारों से पूरी गाड़ी नापते हैं। खामी पकड़ में आ जाए तो डीलर की साज़िश बेपर्दा हो जाती है, इसलिए कई शोरूम बाहर के PDI को अंदर नहीं आने देते।
खरीददार क्या करें?
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थर्ड-पार्टी PDI कराएँ; डीलर मना करे तो शोरूम बदलें।
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बीमा कहीं से भी ले सकते हैं—ज़ीरो डेप्थ, इंजन कवर वगैरह ज़रूरी ऐड-ऑन शामिल करें।
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बेसिक PDI चेकलिस्ट
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बाहरी पेंट, पैनल गैप, लाइट-बंपर-ग्लास पर खरोंच न हों।
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पाँचों टायर नए, एक-ही ब्रांड के हों, रिम बिना कट-खरोंच।
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ओडोमीटर 100 किमी से कम दिखाए; ज़्यादा हो तो कारण पूछें।
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इंजन-बे में लीक/ज़ंग न हो; अंडरबॉडी रस्ट देख लें।
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सभी इलेक्ट्रिक फ़ीचर, सीट-एडजस्ट वगैरह जाँचें; छोटी टेस्ट-ड्राइव ज़रूर लें।
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इनवॉइस, बीमा, रजिस्ट्रेशन, मैनुअल व PDI-फॉर्म की कॉपी लेकर ही भुगतान करें।
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ज़्यादातर डीलर ईमानदारी से काम करते हैं, मगर कुछ अपवाद आपकी मेहनत-की कमाई और सुरक्षा से खिलवाड़ कर देते हैं। सतर्क रहें, दस्तावेज़ पढ़ें, जाँच-पड़ताल करें—ताकि नई कार की ख़ुशी कड़वे अनुभव में न बदल जाए।