31 जनवरी को देश के लोकतंत्र में काला अध्याय जुड़ा, पहली बार हुई किसी सीएम की गिरफ्तारी, राजभवन भी इसमें शामिल, जानें और क्या कहा पूर्व सीएम हेमंत ने सदन में

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Ranchi: विधानसभा के विशेष सत्र के पहले दिन पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी कोर्ट से मिली इजाजत के बाद कार्यवाही में शामिल हुए. इस दौरान मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन की ओर से सदन में पेश किए गए विश्वास मत में भाग लेते हुए हेमंत सोरेन ने कहा कि सदन में चंपाई सोरेन के विश्वास मत का हिस्सा बन रहा हूं. हमारी पूरी पार्टी और गठबंधन दल चंपई सोरेन को समर्थन करता है. 31 जनवरी की काली रात का अध्याय देश के लोकतंत्र में जुड़ा है जब किसी सीएम की गिरफ्तारी रात में हुई है, यह मेरी जानकारी में पहली घटना है. उस घटना में साथ देने में राजभवन का साथ रहा है. इस घटना से बहुत ही आश्चर्यचकित हूं. आदिवासी समाज से आता हूं जानकारी का अभाव है लेकिन सही गलत का फैसला हम भी रखते है और जानवर भी रखता है. उन्होंने कहा कि 31 जनवरी की पटकथा पहले से लिखी जा रही थी और बिलकुल ही धीमी आंच पर इसे पकाया जा रहा था. आज ऐसा लगता है कि बाबा भीमराव का जो सपना था कि सभी एक साथ चलें, लेकिन जैसे बाबा साहब ने अपनी जात धर्म को छोड़ कर बौद्ध धर्म अपनाया, ऐसा आनेवाले समय में होगा.

आदिवासियों को लेकर अपनी चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि आदिवासियों के प्रति इतनी घृणा कहां से आ गई. कुछ लोग कहते हैं कि जंगल में थे, जंगल में ही रहते, बाहर क्यों आ गए, बाहर आ जाने से इनके कपड़े गंदे हो जा रहे हैं. अगर इनका बस चले तो हमें फिर जंगल में भेज दें. इनकी इतनी कुंठा है. ये पहले से मुझे पता था. यह देश का ऐसा राज्य है. जब कोई देश की आजादी का सपना भी नहीं देखता था तबसे आदिवासी समाज लड़ रह है. ईडी, सीबीआई और आईटी जिन्हें देश का सबसे संवेदनशील एजेंसियां समझी जाती है लेकिन करोड़ों डकार कर विदेश में बैठे हैं.

8.5 एकड़ ज़मीन अगर हेमंत सोरेन के नाम पर है तो सदन में पेपर दिखाइए राजनीति छोड़ दूंगा. वक्त आने पर सभी चीजों का जवाब हम देगें. दुर्भाग्य है इस राज्य का कि सामन्तवादी सोच के लोगों के पैरों में गिरकर वंदना कर रहे है. सबसे अधिक समय कौन राज्य किया है. घोटाले इससे पहले नहीं हुआ है? सिर्फ 2019 से ही घोटाले दिख रहे हैं. यह लोग नहीं चाहते है कि आदिवासी दलित, जज आईएएस आईपीएस राजनेता बने. हम लोगो ने सर झुका कर चलना नहीं सीखा है यही आदिवासीयों की पहचान है.

हवाई जहाज में चलता हूं तो इनको तकलीफ होती है. फाइव स्टार होटल में ठहरता हूं, बीएमडब्लू कार से चलता हूं तबभी इनको तकलीफ होती है. अब आदिवासीयों दलितों को आगे नहीं बढ़ने दिया जाएगा. अब जो इनके सामने आयेगा ऐसे अंजाम से गुजरना पड़ेगा लेकिन इनकी बहुत बड़ी भूल है. जनता बहुत अच्छे से जबाब देगी. कानून में रह कर कैसे गैरकानूनी तरीके से कम करना है इनसे सीख सकता है. अगर जमीन का कागज हमे दिखा दीजिए, राजनीति क्या झारखंड छोड़ कर चला जाउंगा. यह बहुत लंबी लड़ाई है. जिस तरीके से बड़ी मछली छोटी मछली को खा जाती है उसी तरीके से सामाजिक व्यवस्था चल रही है.

22 जनवरी को प्रभु राम का प्रतिष्ठान हुआ, राम राज्य आ गया. पहला कदम बिहार में पड़ा, दूसरा कदम झारखंड में पड़ा. अब इस आदिवासी को निगलने की कोशिश की जा रही है लेकिन इस आदिवासी के शरीर में ज्यादा हड्डी है जिसे कम करने का कम ईडी को सौंपा गया है, लेकिन हड्डी गले में फंस गई, तो अंतड़ियां बाहर निकल जाएगी. आनेवाले समय में सदन से लोगों की गिरफ्तारी होगी. आदिवासी पिछड़ों दलितों से आह्वान है कि आप तैयार हो जाइए. नहीं तो आने वाली पीढ़ियां आपको माफ़ नहीं करेगी. राज्यपाल ने 32 पेज का अभिभाषण पढ़ा, हमलोग लाख चीलाते रहे लेकिन कोई एक नहीं सुना. अभिभाषण पढ़ने से क्या होगा जब लोकतंत्र ही नहीं सामने होंगे. और इतनी मजबूती से खड़े होंगे कि षड्यंत्र धरे के धरे रह जाएंगे.

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